रविर्विनायकश्चण्डी ईशो विष्णुस्तथैव च।
अनुक्रमेण पूज्यन्ते व्युत्क्रमे तु महद् भयम्।।
शास्त्रों के अनुसार परब्रह्म परमात्मा निराका है, निराकार ब्रह्म ने अपने साकार रूप में पांच देवों को उपासना के लिए निश्चित किया जिन्हें पंचदेव कहते हैं।
ये पंचदेव हैं- विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य और शक्ति है जो पंचभूतों के अधिष्ठाता (स्वामी) है।
1- गणेशजी जल तत्त्व के अधिपति होने के कारण उनकी सर्वप्रथम पूजा करने का विधान हैं, क्योंकि सृष्टि के आदि में सर्वत्र ‘जल’ तत्त्व ही था ।
2- सूर्य देव वायु तत्त्व के अधिपति हैं इसलिए उनकी अर्घ्य और नमस्कार द्वारा आराधना की जाती है ।
3- देवी शक्ति अग्नि तत्त्व की अधिपति हैं, इसलिए भगवती देवी की अग्निकुण्ड में हवन के द्वारा पूजा करने का विधान हैं ।
4 - शिवजी पृथ्वी तत्त्व के अधिपति हैं इसलिए उनकी शिवलिंग के रुप में पार्थिव-पूजा करने का विधान हैं ।
5- विष्णु आकाश तत्त्व के अधिपति हैं इसलिए उनकी शब्दों द्वारा स्तुति करने का विधान हैं ।
ये पाँच रूप :-हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कामों के लिए पंच देव की पूजा का विधान है।