सिडनी, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने पाया है कि बैठने के बजाय खड़े होकर अधिक समय बिताने से हृदय संबंधी स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है, बल्कि इससे रक्त संचार संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
गुरुवार को प्रकाशित एक अध्ययन में, सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन में 83,013 वयस्कों द्वारा पहने गए शोध-ग्रेड कलाई उपकरणों के डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि बैठने की तुलना में खड़े रहने से कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं होता है।
उन्होंने पाया कि, लंबे समय तक अधिक खड़े रहने से किसी व्यक्ति में हृदय संबंधी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, जैसे- हृदयाघात, कोरोनरी हृदय रोग और स्ट्रोक से पीड़ित होने की संभावना कम नहीं होती है। बल्कि खड़े रहने से संबंधित परिसंचरण संबंधी समस्याओं जैसे कि वेरीकोज वेंस और डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, शोध में पाया गया कि प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक समय तक बैठने से हृदय रोग और संचार संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
" निष्कर्ष यह है कि बहुत देर तक खड़े रहने से गतिहीन जीवनशैली में कोई सुधार नहीं होगा और यह कुछ लोगों के लिए संचार स्वास्थ्य के मामले में जोखिम भरा हो सकता है। हमने पाया कि अधिक समय तक खड़े रहने से लंबे समय में हृदय स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है और संचार संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है,"
सिडनी विश्वविद्यालय में चिकित्सा और स्वास्थ्य संकाय से अध्ययन के प्रमुख लेखक मैथ्यू अहमदी ने कहा, "मुख्य निष्कर्ष यह है कि बहुत देर तक खड़े रहने से जीवनशैली में कोई सुधार नहीं होगा और यह कुछ लोगों के लिए संचार स्वास्थ्य के मामले में जोखिम भरा हो सकता है। हमने पाया कि अधिक समय तक खड़े रहने से लंबे समय में हृदय स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है और संचार संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।"
शोधकर्ताओं ने सिफारिश की है कि जो लोग नियमित रूप से लंबे समय तक बैठे या खड़े रहते हैं, वे पूरे दिन नियमित रूप से चलने का समय निर्धारित करें।
अहमदी और उनके सह-लेखक इमैनुएल स्टामाटाकिस द्वारा जुलाई में प्रकाशित पिछले शोध में पाया गया था कि प्रतिदिन छह मिनट का जोरदार व्यायाम या 30 मिनट का मध्यम से जोरदार व्यायाम उन लोगों में भी हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है, जो प्रतिदिन 11 घंटे से अधिक समय तक तनावग्रस्त रहते है।
--आईएएनएस
एकेएस/सीबीटी