Can’t believe this bill was passed in India by Congress led governments in the past.
2005 में सोनिया गांधी की सरकार एक बिल पेश की थी जो था “THE COMMUNAL VIOLENCE(PREVENTION,CONTROL AND REHABILITATION OF VICTIMS) BILL, 2005”
लिंक नीचे हैं गौर से पढ़ियेगा। जो आज @narendramodi जी या @BJP4India को तुष्टिकरण की राजनीति करने वाला बोल रहे हैं उनको इस बिल के कुछ मुख्य बिंदु यहाँ बता रहा हूँ।
- पहला पॉइंट ये था की अगर कहीं कुछ भी अनहोनी होती हैं तो पूरी ज़िम्मेदारी बहुसंख्यक मतलब (हिंदू) लोगो कि होगी और मुजरिम उन्हें माना जाएगा।
- सांप्रदायिक हिंसा के लिए उम्रकैद, जबकि नफरत भरा प्रचार फैलाने के लिए 3 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान। ड्यूटी ठीक से न निभाने के लिए 2 से 5 साल तक की कैद और आदेश के उल्लंघन की दशा में 10 साल तक की सजा तय की गई।
- ब्यूरोक्रेट्स और पब्लिक सर्वेंट्स के दंगों से निपटने के दौरान चूक के प्रति उन्हें जवाबदेह बनाया गया। दंगों को कंट्रोल करने या रोकने में नाकाम रहने पर एफआईआर दर्ज की जा सकती। अधिकारियों द्वारा एक खास धार्मिक या भाषाई पहचान वाले ग्रुप (मुस्लिमों)के खिलाफ जानबूझकर पीड़ा पहुंचाए जाने की स्थिति में जुर्माने का प्रावधान भी। जूनियरों, सहयोगियों द्वारा दंगों को रोकने में नाकामी की स्थिति में या फोर्सेज को ठीक ढंग से सुपरवाइज न करने की स्थिति में सीनियर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई।
- कोई भी व्यक्ति जो अकेले, किसी संस्था का हिस्सा बनकर या किसी संस्था के प्रभाव में किसी खास धार्मिक या भाषाई पहचान वाले 'ग्रुप' मतलब (मुस्लिमों) के खिलाफ गैरकानूनी ढंग से हिंसा, धमकी या यौन उत्पीड़न में शामिल होता है तो वह संगठित सांप्रदायिक हिंसा का आरोपी होगा। बिल में ग्रुप की जो परिभाषा दी गई है, उसका मतलब धार्मिक या भाषाई तौर पर अल्पसंख्यकों से है। इस कानून के जरिए हेट प्रोपेगैंडा, कम्युनल वॉयलेंस के लिए फंडिंग, उत्पीड़न और पब्लिक सर्वेंट्स द्वारा ड्यूटी को न निभाना भी अपराध की श्रेणी में लाया गया है।
- इस कानून के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे शेड्यूल्ड कास्ट, शेड्यूल्ड ट्राइब्स, धार्मिक और भाषाई (मुस्लिम) अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर की गई हिंसा को रोकने, नियंत्रित करने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें।
यही बिल २०११ और २०१३ में फिर से आया था सोनिया गांधी की सरकार कांग्रेस के द्वारा विरोध नरेंद्र मोदी ने ही किया था सबसे पहले क्यूकी ये हिन्दूओ के खिलाफ था।
अब हिंदू होके हिंदुस्तान में वर्चस्व ही ना बचता तो क्या कर लेते??आज आधे हिंदू मज़हबी आकाओ के ग़ुलाम होते।
समय रहते चेत जाओ हिंदुओ नहीं तो आगे ज़िंदगी जेल में गुज़ारनी या तलवे चाट कर।
श्री राम ।
mha.gov.in/sites/default/…
2005 में सोनिया गांधी की सरकार एक बिल पेश की थी जो था “THE COMMUNAL VIOLENCE(PREVENTION,CONTROL AND REHABILITATION OF VICTIMS) BILL, 2005”
लिंक नीचे हैं गौर से पढ़ियेगा। जो आज @narendramodi जी या @BJP4India को तुष्टिकरण की राजनीति करने वाला बोल रहे हैं उनको इस बिल के कुछ मुख्य बिंदु यहाँ बता रहा हूँ।
- पहला पॉइंट ये था की अगर कहीं कुछ भी अनहोनी होती हैं तो पूरी ज़िम्मेदारी बहुसंख्यक मतलब (हिंदू) लोगो कि होगी और मुजरिम उन्हें माना जाएगा।
- सांप्रदायिक हिंसा के लिए उम्रकैद, जबकि नफरत भरा प्रचार फैलाने के लिए 3 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान। ड्यूटी ठीक से न निभाने के लिए 2 से 5 साल तक की कैद और आदेश के उल्लंघन की दशा में 10 साल तक की सजा तय की गई।
- ब्यूरोक्रेट्स और पब्लिक सर्वेंट्स के दंगों से निपटने के दौरान चूक के प्रति उन्हें जवाबदेह बनाया गया। दंगों को कंट्रोल करने या रोकने में नाकाम रहने पर एफआईआर दर्ज की जा सकती। अधिकारियों द्वारा एक खास धार्मिक या भाषाई पहचान वाले ग्रुप (मुस्लिमों)के खिलाफ जानबूझकर पीड़ा पहुंचाए जाने की स्थिति में जुर्माने का प्रावधान भी। जूनियरों, सहयोगियों द्वारा दंगों को रोकने में नाकामी की स्थिति में या फोर्सेज को ठीक ढंग से सुपरवाइज न करने की स्थिति में सीनियर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई।
- कोई भी व्यक्ति जो अकेले, किसी संस्था का हिस्सा बनकर या किसी संस्था के प्रभाव में किसी खास धार्मिक या भाषाई पहचान वाले 'ग्रुप' मतलब (मुस्लिमों) के खिलाफ गैरकानूनी ढंग से हिंसा, धमकी या यौन उत्पीड़न में शामिल होता है तो वह संगठित सांप्रदायिक हिंसा का आरोपी होगा। बिल में ग्रुप की जो परिभाषा दी गई है, उसका मतलब धार्मिक या भाषाई तौर पर अल्पसंख्यकों से है। इस कानून के जरिए हेट प्रोपेगैंडा, कम्युनल वॉयलेंस के लिए फंडिंग, उत्पीड़न और पब्लिक सर्वेंट्स द्वारा ड्यूटी को न निभाना भी अपराध की श्रेणी में लाया गया है।
- इस कानून के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे शेड्यूल्ड कास्ट, शेड्यूल्ड ट्राइब्स, धार्मिक और भाषाई (मुस्लिम) अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर की गई हिंसा को रोकने, नियंत्रित करने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें।
यही बिल २०११ और २०१३ में फिर से आया था सोनिया गांधी की सरकार कांग्रेस के द्वारा विरोध नरेंद्र मोदी ने ही किया था सबसे पहले क्यूकी ये हिन्दूओ के खिलाफ था।
अब हिंदू होके हिंदुस्तान में वर्चस्व ही ना बचता तो क्या कर लेते??आज आधे हिंदू मज़हबी आकाओ के ग़ुलाम होते।
समय रहते चेत जाओ हिंदुओ नहीं तो आगे ज़िंदगी जेल में गुज़ारनी या तलवे चाट कर।
श्री राम ।
mha.gov.in/sites/default/…
Can’t believe this bill was passed in India by Congress led governments in the past.
2005 में सोनिया गांधी की सरकार एक बिल पेश की थी जो था “THE COMMUNAL VIOLENCE(PREVENTION,CONTROL AND REHABILITATION OF VICTIMS) BILL, 2005”
लिंक नीचे हैं गौर से पढ़ियेगा। जो आज @narendramodi जी या @BJP4India को तुष्टिकरण की राजनीति करने वाला बोल रहे हैं उनको इस बिल के कुछ मुख्य बिंदु यहाँ बता रहा हूँ।
- पहला पॉइंट ये था की अगर कहीं कुछ भी अनहोनी होती हैं तो पूरी ज़िम्मेदारी बहुसंख्यक मतलब (हिंदू) लोगो कि होगी और मुजरिम उन्हें माना जाएगा।
- सांप्रदायिक हिंसा के लिए उम्रकैद, जबकि नफरत भरा प्रचार फैलाने के लिए 3 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान। ड्यूटी ठीक से न निभाने के लिए 2 से 5 साल तक की कैद और आदेश के उल्लंघन की दशा में 10 साल तक की सजा तय की गई।
- ब्यूरोक्रेट्स और पब्लिक सर्वेंट्स के दंगों से निपटने के दौरान चूक के प्रति उन्हें जवाबदेह बनाया गया। दंगों को कंट्रोल करने या रोकने में नाकाम रहने पर एफआईआर दर्ज की जा सकती। अधिकारियों द्वारा एक खास धार्मिक या भाषाई पहचान वाले ग्रुप (मुस्लिमों)के खिलाफ जानबूझकर पीड़ा पहुंचाए जाने की स्थिति में जुर्माने का प्रावधान भी। जूनियरों, सहयोगियों द्वारा दंगों को रोकने में नाकामी की स्थिति में या फोर्सेज को ठीक ढंग से सुपरवाइज न करने की स्थिति में सीनियर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई।
- कोई भी व्यक्ति जो अकेले, किसी संस्था का हिस्सा बनकर या किसी संस्था के प्रभाव में किसी खास धार्मिक या भाषाई पहचान वाले 'ग्रुप' मतलब (मुस्लिमों) के खिलाफ गैरकानूनी ढंग से हिंसा, धमकी या यौन उत्पीड़न में शामिल होता है तो वह संगठित सांप्रदायिक हिंसा का आरोपी होगा। बिल में ग्रुप की जो परिभाषा दी गई है, उसका मतलब धार्मिक या भाषाई तौर पर अल्पसंख्यकों से है। इस कानून के जरिए हेट प्रोपेगैंडा, कम्युनल वॉयलेंस के लिए फंडिंग, उत्पीड़न और पब्लिक सर्वेंट्स द्वारा ड्यूटी को न निभाना भी अपराध की श्रेणी में लाया गया है।
- इस कानून के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे शेड्यूल्ड कास्ट, शेड्यूल्ड ट्राइब्स, धार्मिक और भाषाई (मुस्लिम) अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर की गई हिंसा को रोकने, नियंत्रित करने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें।
यही बिल २०११ और २०१३ में फिर से आया था सोनिया गांधी की सरकार कांग्रेस के द्वारा विरोध नरेंद्र मोदी ने ही किया था सबसे पहले क्यूकी ये हिन्दूओ के खिलाफ था।
अब हिंदू होके हिंदुस्तान में वर्चस्व ही ना बचता तो क्या कर लेते??आज आधे हिंदू मज़हबी आकाओ के ग़ुलाम होते।
समय रहते चेत जाओ हिंदुओ नहीं तो आगे ज़िंदगी जेल में गुज़ारनी या तलवे चाट कर।
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