Electoral Bond Case: जिस फॉरेन इंटरफेरेंस के जरीये डेमोक्रेसी हाईजैक करने की कोशिश होती है कहीं यह वही इंटरफरेन्स तो नहीं है?

इलेक्टोरल बांड वाले मुद्दे पर पूरा देश एक तरह से लड़े पड़ा है..कोई कह रहा है इसने उसको चंदा दिया...उसने इसको चंदा दिया..जबकि सारी पार्टियां देश की ही हैं और चंदा देने वाले भी..ऐसे में देश की व्यवस्था है ही सबको रेगुलेट रखने की...इस बीच एक बात जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है वो यह कि ये इलेक्टोरल बांड का मुद्दा आखिर आया कहाँ से...

जिस PIL को लेकर भूषण और सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में जाकर बवाल कटवा रहे हैं उस PIL में पार्टी के तौर पर एक संस्था है जिसका नाम है ADR .

ADR इस देश की पोलिटिकल फंडिंग के बारे में पूरी जानकारी चाहती है...लेकिन ADR की खुद की फॉरेन फंडिंग का सीन क्या है..आइये जरा खोजते हैं..

इस ADR को Omidiyar Network ने

2015 -16 में 2.15 करोड़ रूपये
2016 -17 में 2.13 करोड़ रूपये
2017 -18 में 2.07 करोड़ रूपये
2020 -21 में 1 .03 करोड़ रूपये की फंडिंग की.

Ford Foundation ने

2016 -17 में 70 लाख रूपये
2018 -19 में 63 लाख रूपये

इस से पहले सोरोस के एक पार्टनर Hivos से भी 37 .5 लाख रूपये भी ले रखे हैं..

इंडियन फार्मा के खिलाफ अमेरिका में बैठ कर प्रोपगंडा चलाने वाले फाउंडेशन से भी 21 लाख ले रखे हैं..

अब आते हैं कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट पर..तो इसी Omidiyar पर CBI ने FCRA में इललीगल फंडिंग का केस कर रखा है..इसको अपनी दुकान भारत से हटाने का कह दिया गया है.

फोर्ड फाउंडेशन किसके इशारे पर चलता है उसके बारे में सब जानते ही हैं..

और सोरोस तो खुले तौर पर भारत के लोकतंत्र के खिलाफ जंग का ऐलान कर ही चुका है..

ऐसे में सवाल यह होना चाहिए कि जांच ADR की फॉरेन फंडिंग, इसको चलाने वाले लोगों के बाहरी इंटरेस्ट, और बाहर से इसको पैसा देने वालों के इंडियन बिजनेस इंटरेस्ट एंगल की भी गहनता से जांच होनी चाहिए.

भारतीय कॉर्पोरेट की फंडिंग की लिस्ट फोर्ड फाउंडेशन, ओमिड्यार, सोरोस के हाथ में आ जाने से कितना कुछ खराब हो सकता है, इंटरनेशनल बिजनेस इंटरेस्ट में एआरएम ट्विस्टिंग हो सकती है इसका अंदाजा अभी किसी को नहीं है.

CHECKMATE by Mota Bhai
Electoral Bond Case: जिस फॉरेन इंटरफेरेंस के जरीये डेमोक्रेसी हाईजैक करने की कोशिश होती है कहीं यह वही इंटरफरेन्स तो नहीं है? इलेक्टोरल बांड वाले मुद्दे पर पूरा देश एक तरह से लड़े पड़ा है..कोई कह रहा है इसने उसको चंदा दिया...उसने इसको चंदा दिया..जबकि सारी पार्टियां देश की ही हैं और चंदा देने वाले भी..ऐसे में देश की व्यवस्था है ही सबको रेगुलेट रखने की...इस बीच एक बात जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है वो यह कि ये इलेक्टोरल बांड का मुद्दा आखिर आया कहाँ से... जिस PIL को लेकर भूषण और सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में जाकर बवाल कटवा रहे हैं उस PIL में पार्टी के तौर पर एक संस्था है जिसका नाम है ADR . ADR इस देश की पोलिटिकल फंडिंग के बारे में पूरी जानकारी चाहती है...लेकिन ADR की खुद की फॉरेन फंडिंग का सीन क्या है..आइये जरा खोजते हैं.. इस ADR को Omidiyar Network ने 2015 -16 में 2.15 करोड़ रूपये 2016 -17 में 2.13 करोड़ रूपये 2017 -18 में 2.07 करोड़ रूपये 2020 -21 में 1 .03 करोड़ रूपये की फंडिंग की. Ford Foundation ने 2016 -17 में 70 लाख रूपये 2018 -19 में 63 लाख रूपये इस से पहले सोरोस के एक पार्टनर Hivos से भी 37 .5 लाख रूपये भी ले रखे हैं.. इंडियन फार्मा के खिलाफ अमेरिका में बैठ कर प्रोपगंडा चलाने वाले फाउंडेशन से भी 21 लाख ले रखे हैं.. अब आते हैं कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट पर..तो इसी Omidiyar पर CBI ने FCRA में इललीगल फंडिंग का केस कर रखा है..इसको अपनी दुकान भारत से हटाने का कह दिया गया है. फोर्ड फाउंडेशन किसके इशारे पर चलता है उसके बारे में सब जानते ही हैं.. और सोरोस तो खुले तौर पर भारत के लोकतंत्र के खिलाफ जंग का ऐलान कर ही चुका है.. ऐसे में सवाल यह होना चाहिए कि जांच ADR की फॉरेन फंडिंग, इसको चलाने वाले लोगों के बाहरी इंटरेस्ट, और बाहर से इसको पैसा देने वालों के इंडियन बिजनेस इंटरेस्ट एंगल की भी गहनता से जांच होनी चाहिए. भारतीय कॉर्पोरेट की फंडिंग की लिस्ट फोर्ड फाउंडेशन, ओमिड्यार, सोरोस के हाथ में आ जाने से कितना कुछ खराब हो सकता है, इंटरनेशनल बिजनेस इंटरेस्ट में एआरएम ट्विस्टिंग हो सकती है इसका अंदाजा अभी किसी को नहीं है. CHECKMATE by Mota Bhai
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