जब महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं को पीट-पीट कर जब मार डाला गया था, तब बाळासाहेब का पप्पू उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे...
उस समय कांग्रेसाचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पाखंडी जी महाराज चुप था... मृत साधुओं के लिए उस व्यक्त इस ढोंगी ने संवेदना तक व्यक्त नहीं की थी...
अब अविमुक्तेश्वरानंद जी कह रहे हैं कि जब तक उद्धव ठाकरे फिर से मुख्यमंत्री नहीं बन जाते, उनकी पीड़ा शांत नहीं होगी...
आखिर ये कैसी पीड़ा है जो दो साधू-संतों की निर्मम हत्या पर नहीं होती है??
लेकिन उद्धव ठाकरे की CM की गद्दी छिनते ही भयानक पीड़ा होने लगती है और तब तक शांत न होने का संकल्प लेती है जब तक उद्धव ठाकरे फिर से CM न बन जाएं...
उस समय कांग्रेसाचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पाखंडी जी महाराज चुप था... मृत साधुओं के लिए उस व्यक्त इस ढोंगी ने संवेदना तक व्यक्त नहीं की थी...
अब अविमुक्तेश्वरानंद जी कह रहे हैं कि जब तक उद्धव ठाकरे फिर से मुख्यमंत्री नहीं बन जाते, उनकी पीड़ा शांत नहीं होगी...
आखिर ये कैसी पीड़ा है जो दो साधू-संतों की निर्मम हत्या पर नहीं होती है??
लेकिन उद्धव ठाकरे की CM की गद्दी छिनते ही भयानक पीड़ा होने लगती है और तब तक शांत न होने का संकल्प लेती है जब तक उद्धव ठाकरे फिर से CM न बन जाएं...
जब महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं को पीट-पीट कर जब मार डाला गया था, तब बाळासाहेब का पप्पू उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे...
उस समय कांग्रेसाचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पाखंडी जी महाराज चुप था... मृत साधुओं के लिए उस व्यक्त इस ढोंगी ने संवेदना तक व्यक्त नहीं की थी...
अब अविमुक्तेश्वरानंद जी कह रहे हैं कि जब तक उद्धव ठाकरे फिर से मुख्यमंत्री नहीं बन जाते, उनकी पीड़ा शांत नहीं होगी...
आखिर ये कैसी पीड़ा है जो दो साधू-संतों की निर्मम हत्या पर नहीं होती है??
लेकिन उद्धव ठाकरे की CM की गद्दी छिनते ही भयानक पीड़ा होने लगती है और तब तक शांत न होने का संकल्प लेती है जब तक उद्धव ठाकरे फिर से CM न बन जाएं...
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