• CIA - Vatican - Soros - Drugs -Manipur
    Few facts everyone should know

    - There are lot of Drug lords in the world. Boss of all those Drug lords is CIA.
    CIA is the biggest Drug lord of the world

    - All this started in 1948 with Operation Gladio

    - CIA wanted to stop communism influence worldwide and for their operations they needed money and they decided to get that money through drugs selling

    - Partner of CIA in operation Gladio was Italian mafia, Vatican and few NGOs (Soros foundation and Ford foundation)

    - Role of Vatican was money laundering since Vatican Bank is safest bank in the world

    - Golden Triangle of drugs is called Myanmar, Thailand, Laos and Manipur of India. This is the biggest opium producing area of the world

    - George Soros NGO provides legal and operational support to CIA in their operations

    - Soros is running campaign from last 30 years to legalize drugs

    -Soros has links with Nehru family in India

    - In 2018, BJP govt in Manipur (India) started war against drugs. They destroyed drugs worth of Rs 60,000 crore and thousands of hectare drug producing fields

    - The violence in Manipur was sponsored by CIA and Soros gang and was in retaliation of anti drug drive of govt

    - Manipur has 400 km open boarder with Myanmar. 90% of Manipur area is hilly which is Kookie dominated. Kookie people follow Christianity. Vatican funded NGOs had good presence there. Many Kookie people are involved in paddy cultivation

    - Retaliation against State govt's drug drive was converted into struggle between Matai and Kookie

    - Drug mafia wants to remove Manipur CM @NBirenSingh anyhow but BJP top leadership standing rock solid with him.
    https://twitter.com/starboy2079/status/1793156661466550714?s=46&t=k7DOzt02q2xVLz7J4o4Rmg
    CIA - Vatican - Soros - Drugs -Manipur Few facts everyone should know - There are lot of Drug lords in the world. Boss of all those Drug lords is CIA. CIA is the biggest Drug lord of the world - All this started in 1948 with Operation Gladio - CIA wanted to stop communism influence worldwide and for their operations they needed money and they decided to get that money through drugs selling - Partner of CIA in operation Gladio was Italian mafia, Vatican and few NGOs (Soros foundation and Ford foundation) - Role of Vatican was money laundering since Vatican Bank is safest bank in the world - Golden Triangle of drugs is called Myanmar, Thailand, Laos and Manipur of India. This is the biggest opium producing area of the world - George Soros NGO provides legal and operational support to CIA in their operations - Soros is running campaign from last 30 years to legalize drugs -Soros has links with Nehru family in India - In 2018, BJP govt in Manipur (India) started war against drugs. They destroyed drugs worth of Rs 60,000 crore and thousands of hectare drug producing fields - The violence in Manipur was sponsored by CIA and Soros gang and was in retaliation of anti drug drive of govt - Manipur has 400 km open boarder with Myanmar. 90% of Manipur area is hilly which is Kookie dominated. Kookie people follow Christianity. Vatican funded NGOs had good presence there. Many Kookie people are involved in paddy cultivation - Retaliation against State govt's drug drive was converted into struggle between Matai and Kookie - Drug mafia wants to remove Manipur CM @NBirenSingh anyhow but BJP top leadership standing rock solid with him. https://twitter.com/starboy2079/status/1793156661466550714?s=46&t=k7DOzt02q2xVLz7J4o4Rmg
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  • PAMPHLET EXCLUSIVE

    4 stages of Arvind Kejriwal and his mysterious foreign Support :

    US , Germany और UN के हाल ही में केजरीवाल की शराब घोटाले में हुई गिरफ्तारी पर दिए बयान को हम सबने सुना..

    लेकिन ये वीडियो उनके लिए है जो सच में जाना चाहते हैं कि विदेशी संस्थानों को इतना interest क्यों आ रहा है केजरीवाल की गिरफ्तारी पर और यह क्यों इंडिया के internal matters में interfere कर रहे है..

    तो आइये समझते हैं आज तक केजरीवाल के activist से लेके politics तक और politics से लेके उनकी गिरफ़्तारी तक कैसे हर process में उन्हें foreign सपोर्ट मिला है.

    केजरीवाल के जीवन को 4 phases में बांटा जा सकता है.

    1.Activist Kejriwal
    2.Politician Kejriwal
    3. CM Kejriwal
    4.Scamster Kejriwal

    पहला phase है Activist Kejriwal, यानि India against corruption से पहले का युग -

    एक दम शुरूआती दौर में जब केजरीवाल अपने आप को एक activist के रूप में स्थापित कर रहे थे तब उन्होंने “parivartan” नाम के एक NGO बनाया और उनके NGO में सीधा बाहरी सपोर्ट आया ford foundation से 80,000 dollars की funding से....

    फिर same ford foundation से केजरीवाल और मनीष सिसोदिया द्वारा स्थापित दूसरे NGO kabir को भी लगभग 43 lakh रुपए मिले.

    इसी बीच 2006 में केजरीवाल को “emerging leadership ” की category में Ramon Magsaysay Award भी मिला, जिसे साल 2000 में स्थापित किया गया था ...सेम उसी ford foundation द्वारा...

    2010 के आसपास केजरीवाल की NGO से related एक और नाम आया Shrimit Lee का, एक संदिग्ध researcher जो पब्लिक डोमेन में नाम आते ही यह अचानक से India से गायब हो गयी |

    दूसरा फेज है Politician Kejriwal

    केजरीवाल जी ने जब पार्टी बनायी तब शुरू में ही इसमें Admiral Ramdoss Mira sanyal, Medha Patkar, Mallika sarabhai और अन्य कई लोग इनकी पार्टी के core member रहे..और इनमे अधिकांश ford foundation से ही direct तौर पर जुड़े हुए थे या फिर उनके NGO को ford foundation और उसके affiliated संस्थाओं से funding आ रही थी.

    तीसरा फेज था CM Kejriwal

    CM बनने के बाद शुरू होता है अगला phase जिसमें देश भर में स्थापित करने के लिए 2016 में उन पर एक movie बनती है - An insignificant man! जिसके निर्देशक थे Vinay shukla, वही vinay shukla जिन्होंने ravish kumar पर भी बाद में एक फिल्म बनायीं | इसके बारे में हमने पहले खुलासा किया था कि कैसे ये director और उनकी टीम में ford foundation से जुड़े लोगों की funding कर रही है, यानी इस stage में भी केजरीवाल को ford foundation से जुड़े लोगों की hidden सपोर्ट मिली.

    और आपको अगर याद हो तो The pamphlet की team ने एक exclusive स्टोरी केजरीवाल के facebook account को लेकर की थी जिसमें ये reveal हुआ था कि उनके official अकाउंट Qatar , US और Lithuania से चलाये जा रहे थे | पर यह खबर सामने आते ही उनके अकाउंट से यह सारा data मिटा दिया गया |

    कौन इनके पेज पर नज़र रख रहा था, कौन उसके analytics की जांच कर रहा था, यह एक mystery ही रह गयी |

    और आखिर में आते हैं केजरीवाल के सार्वजानिक जीवन की आखिरी 4th स्टेज पर..Scamster Kejriwal

    मोदी सरकार ने भ्रष्टाचारियों को साफ़ करने की जो मुहीम चलायी है जिसमें अब तक 100 से अधिक राजनेताओं पर ED छापेमारी कर चुका है और लाखों करोड़ो की वसूली भी हुई है..पर ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी नेता के सपोर्ट में अमेरिका/जर्मनी या UN आया हो..केजरीवाल के सपोर्ट में इन बाहरी ताकतों का आना क्या इशारा करता है..

    क्या शुरू से ही बाहर बैठे इकोसिस्टम का सपोर्ट केजरीवाल को रहा है, ये अब इन्वेस्टीगेशन का विषय है...लेकिन यह भी अब साफ़ है कि उन्हें एक्टविस्ट से लेके पॉलिटिशियन के सफर में हर कदम पर विदेश से सपोर्ट मिलता रहा है..इस सपोर्ट की क्या कीमत है ये आने वाला वक़्त बताएगा...

    Research: Team Pamphlet
    Video by: @shreya_arora22

    #Arvindkejrwal #ArvindKejriwalArrested
    PAMPHLET EXCLUSIVE 4 stages of Arvind Kejriwal and his mysterious foreign Support : US , Germany और UN के हाल ही में केजरीवाल की शराब घोटाले में हुई गिरफ्तारी पर दिए बयान को हम सबने सुना.. लेकिन ये वीडियो उनके लिए है जो सच में जाना चाहते हैं कि विदेशी संस्थानों को इतना interest क्यों आ रहा है केजरीवाल की गिरफ्तारी पर और यह क्यों इंडिया के internal matters में interfere कर रहे है.. तो आइये समझते हैं आज तक केजरीवाल के activist से लेके politics तक और politics से लेके उनकी गिरफ़्तारी तक कैसे हर process में उन्हें foreign सपोर्ट मिला है. केजरीवाल के जीवन को 4 phases में बांटा जा सकता है. 1.Activist Kejriwal 2.Politician Kejriwal 3. CM Kejriwal 4.Scamster Kejriwal पहला phase है Activist Kejriwal, यानि India against corruption से पहले का युग - एक दम शुरूआती दौर में जब केजरीवाल अपने आप को एक activist के रूप में स्थापित कर रहे थे तब उन्होंने “parivartan” नाम के एक NGO बनाया और उनके NGO में सीधा बाहरी सपोर्ट आया ford foundation से 80,000 dollars की funding से.... फिर same ford foundation से केजरीवाल और मनीष सिसोदिया द्वारा स्थापित दूसरे NGO kabir को भी लगभग 43 lakh रुपए मिले. इसी बीच 2006 में केजरीवाल को “emerging leadership ” की category में Ramon Magsaysay Award भी मिला, जिसे साल 2000 में स्थापित किया गया था ...सेम उसी ford foundation द्वारा... 2010 के आसपास केजरीवाल की NGO से related एक और नाम आया Shrimit Lee का, एक संदिग्ध researcher जो पब्लिक डोमेन में नाम आते ही यह अचानक से India से गायब हो गयी | दूसरा फेज है Politician Kejriwal केजरीवाल जी ने जब पार्टी बनायी तब शुरू में ही इसमें Admiral Ramdoss Mira sanyal, Medha Patkar, Mallika sarabhai और अन्य कई लोग इनकी पार्टी के core member रहे..और इनमे अधिकांश ford foundation से ही direct तौर पर जुड़े हुए थे या फिर उनके NGO को ford foundation और उसके affiliated संस्थाओं से funding आ रही थी. तीसरा फेज था CM Kejriwal CM बनने के बाद शुरू होता है अगला phase जिसमें देश भर में स्थापित करने के लिए 2016 में उन पर एक movie बनती है - An insignificant man! जिसके निर्देशक थे Vinay shukla, वही vinay shukla जिन्होंने ravish kumar पर भी बाद में एक फिल्म बनायीं | इसके बारे में हमने पहले खुलासा किया था कि कैसे ये director और उनकी टीम में ford foundation से जुड़े लोगों की funding कर रही है, यानी इस stage में भी केजरीवाल को ford foundation से जुड़े लोगों की hidden सपोर्ट मिली. और आपको अगर याद हो तो The pamphlet की team ने एक exclusive स्टोरी केजरीवाल के facebook account को लेकर की थी जिसमें ये reveal हुआ था कि उनके official अकाउंट Qatar , US और Lithuania से चलाये जा रहे थे | पर यह खबर सामने आते ही उनके अकाउंट से यह सारा data मिटा दिया गया | कौन इनके पेज पर नज़र रख रहा था, कौन उसके analytics की जांच कर रहा था, यह एक mystery ही रह गयी | और आखिर में आते हैं केजरीवाल के सार्वजानिक जीवन की आखिरी 4th स्टेज पर..Scamster Kejriwal मोदी सरकार ने भ्रष्टाचारियों को साफ़ करने की जो मुहीम चलायी है जिसमें अब तक 100 से अधिक राजनेताओं पर ED छापेमारी कर चुका है और लाखों करोड़ो की वसूली भी हुई है..पर ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी नेता के सपोर्ट में अमेरिका/जर्मनी या UN आया हो..केजरीवाल के सपोर्ट में इन बाहरी ताकतों का आना क्या इशारा करता है.. क्या शुरू से ही बाहर बैठे इकोसिस्टम का सपोर्ट केजरीवाल को रहा है, ये अब इन्वेस्टीगेशन का विषय है...लेकिन यह भी अब साफ़ है कि उन्हें एक्टविस्ट से लेके पॉलिटिशियन के सफर में हर कदम पर विदेश से सपोर्ट मिलता रहा है..इस सपोर्ट की क्या कीमत है ये आने वाला वक़्त बताएगा... Research: Team Pamphlet Video by: @shreya_arora22 #Arvindkejrwal #ArvindKejriwalArrested
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  • In 2014 when Arvind Kejriwal emerged as a heroic icon, A RAW officer RSN singh wrote an article:

    Kejriwal: India's biggest scam

    In which he claimed with proof that Kejriwal was groomed n funded by Ford Foundation and other CIA connected groups

    He said that Anna movement was Arab spring version of India n Smrit Lee was specially sent for this.

    That time many people didn't take that article seriously but
    Now after 10 years, after seeing unusual support of USA and Germany for an half state CM, this article is hot topic and many people are talking about it

    Here is the link of that article
    Pl read it and share your views
    In 2014 when Arvind Kejriwal emerged as a heroic icon, A RAW officer RSN singh wrote an article: Kejriwal: India's biggest scam In which he claimed with proof that Kejriwal was groomed n funded by Ford Foundation and other CIA connected groups He said that Anna movement was Arab spring version of India n Smrit Lee was specially sent for this. That time many people didn't take that article seriously but Now after 10 years, after seeing unusual support of USA and Germany for an half state CM, this article is hot topic and many people are talking about it Here is the link of that article Pl read it and share your views
    CANARYTRAP.IN
    Kejriwal: India’s biggest scam
    This article is based on facts and facts alone. It purports to clearly decipher the process of subversion and use of Kejriwal and his associates by powers and countries inimical to India. Sadly, as invariably the case, there are vested interests at the highest political levels in India, who are part of the design.
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  • Some Indians who received Ramon Magsaysay Award

    1. Mother Theresa 1962
    2. Arvind Kejriwal 2006
    3. Sonam Wangchuk 2018
    4. Ravish Kumar 2019

    Do you know the background of Ramon Magsaysay Award?

    The award is named after Ramon Magsaysay, who was the president of Philippines from 1953 to his death in 1957. Ramon Magsaysay was described as an “America’s boy” by CIA, a person who was groomed by the CIA to protect the interests of the United States of America in Asia.

    Magsaysay was important for the CIA in its long-term plans in the country. CIA’s plan was very detailed and robust, which included even losing an election to build up a clean image of Magsaysay. They persuaded him to ensure that the Senate election in 1951 was clean and fair, which had resulted in Magsaysay’s party losing all nine seats. But it was a huge PR move for him, as he was now seen as the cleanest leader in a country known for electoral malpractices by ruling parties. He was hailed as the man of the year, a national hero by media, and declared the next President by Time magazine which carried him on its cover, all thanks to American efforts.

    President Magsaysay died in a plane crash in 1957, and the Ramon Magsaysay Award was established in his memory. It may be noted that the award was constituted by New York-based Rockefeller Brothers Fund. In 2000, Ramon Magsaysay Emergent Leadership Award was established by Ford Foundation, another American organisation. Both these organisations are known for working for American interests in foreign countries, and have a history of closely working with the CIA. In fact, the Ford Foundation is alleged to be a philanthropic facade of the Central Intelligence Agency.

    The Magsaysay award, which is celebrated by left-liberals, has a direct link with the CIA and the United States America.

    When anyone get this award, rest assure he/she is now CIA asset and hi/her grooming started
    Some Indians who received Ramon Magsaysay Award 1. Mother Theresa 1962 2. Arvind Kejriwal 2006 3. Sonam Wangchuk 2018 4. Ravish Kumar 2019 Do you know the background of Ramon Magsaysay Award? The award is named after Ramon Magsaysay, who was the president of Philippines from 1953 to his death in 1957. Ramon Magsaysay was described as an “America’s boy” by CIA, a person who was groomed by the CIA to protect the interests of the United States of America in Asia. Magsaysay was important for the CIA in its long-term plans in the country. CIA’s plan was very detailed and robust, which included even losing an election to build up a clean image of Magsaysay. They persuaded him to ensure that the Senate election in 1951 was clean and fair, which had resulted in Magsaysay’s party losing all nine seats. But it was a huge PR move for him, as he was now seen as the cleanest leader in a country known for electoral malpractices by ruling parties. He was hailed as the man of the year, a national hero by media, and declared the next President by Time magazine which carried him on its cover, all thanks to American efforts. President Magsaysay died in a plane crash in 1957, and the Ramon Magsaysay Award was established in his memory. It may be noted that the award was constituted by New York-based Rockefeller Brothers Fund. In 2000, Ramon Magsaysay Emergent Leadership Award was established by Ford Foundation, another American organisation. Both these organisations are known for working for American interests in foreign countries, and have a history of closely working with the CIA. In fact, the Ford Foundation is alleged to be a philanthropic facade of the Central Intelligence Agency. The Magsaysay award, which is celebrated by left-liberals, has a direct link with the CIA and the United States America. When anyone get this award, rest assure he/she is now CIA asset and hi/her grooming started
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  • Electoral Bond Case: जिस फॉरेन इंटरफेरेंस के जरीये डेमोक्रेसी हाईजैक करने की कोशिश होती है कहीं यह वही इंटरफरेन्स तो नहीं है?

    इलेक्टोरल बांड वाले मुद्दे पर पूरा देश एक तरह से लड़े पड़ा है..कोई कह रहा है इसने उसको चंदा दिया...उसने इसको चंदा दिया..जबकि सारी पार्टियां देश की ही हैं और चंदा देने वाले भी..ऐसे में देश की व्यवस्था है ही सबको रेगुलेट रखने की...इस बीच एक बात जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है वो यह कि ये इलेक्टोरल बांड का मुद्दा आखिर आया कहाँ से...

    जिस PIL को लेकर भूषण और सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में जाकर बवाल कटवा रहे हैं उस PIL में पार्टी के तौर पर एक संस्था है जिसका नाम है ADR .

    ADR इस देश की पोलिटिकल फंडिंग के बारे में पूरी जानकारी चाहती है...लेकिन ADR की खुद की फॉरेन फंडिंग का सीन क्या है..आइये जरा खोजते हैं..

    इस ADR को Omidiyar Network ने

    2015 -16 में 2.15 करोड़ रूपये
    2016 -17 में 2.13 करोड़ रूपये
    2017 -18 में 2.07 करोड़ रूपये
    2020 -21 में 1 .03 करोड़ रूपये की फंडिंग की.

    Ford Foundation ने

    2016 -17 में 70 लाख रूपये
    2018 -19 में 63 लाख रूपये

    इस से पहले सोरोस के एक पार्टनर Hivos से भी 37 .5 लाख रूपये भी ले रखे हैं..

    इंडियन फार्मा के खिलाफ अमेरिका में बैठ कर प्रोपगंडा चलाने वाले फाउंडेशन से भी 21 लाख ले रखे हैं..

    अब आते हैं कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट पर..तो इसी Omidiyar पर CBI ने FCRA में इललीगल फंडिंग का केस कर रखा है..इसको अपनी दुकान भारत से हटाने का कह दिया गया है.

    फोर्ड फाउंडेशन किसके इशारे पर चलता है उसके बारे में सब जानते ही हैं..

    और सोरोस तो खुले तौर पर भारत के लोकतंत्र के खिलाफ जंग का ऐलान कर ही चुका है..

    ऐसे में सवाल यह होना चाहिए कि जांच ADR की फॉरेन फंडिंग, इसको चलाने वाले लोगों के बाहरी इंटरेस्ट, और बाहर से इसको पैसा देने वालों के इंडियन बिजनेस इंटरेस्ट एंगल की भी गहनता से जांच होनी चाहिए.

    भारतीय कॉर्पोरेट की फंडिंग की लिस्ट फोर्ड फाउंडेशन, ओमिड्यार, सोरोस के हाथ में आ जाने से कितना कुछ खराब हो सकता है, इंटरनेशनल बिजनेस इंटरेस्ट में एआरएम ट्विस्टिंग हो सकती है इसका अंदाजा अभी किसी को नहीं है.

    CHECKMATE by Mota Bhai
    Electoral Bond Case: जिस फॉरेन इंटरफेरेंस के जरीये डेमोक्रेसी हाईजैक करने की कोशिश होती है कहीं यह वही इंटरफरेन्स तो नहीं है? इलेक्टोरल बांड वाले मुद्दे पर पूरा देश एक तरह से लड़े पड़ा है..कोई कह रहा है इसने उसको चंदा दिया...उसने इसको चंदा दिया..जबकि सारी पार्टियां देश की ही हैं और चंदा देने वाले भी..ऐसे में देश की व्यवस्था है ही सबको रेगुलेट रखने की...इस बीच एक बात जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है वो यह कि ये इलेक्टोरल बांड का मुद्दा आखिर आया कहाँ से... जिस PIL को लेकर भूषण और सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में जाकर बवाल कटवा रहे हैं उस PIL में पार्टी के तौर पर एक संस्था है जिसका नाम है ADR . ADR इस देश की पोलिटिकल फंडिंग के बारे में पूरी जानकारी चाहती है...लेकिन ADR की खुद की फॉरेन फंडिंग का सीन क्या है..आइये जरा खोजते हैं.. इस ADR को Omidiyar Network ने 2015 -16 में 2.15 करोड़ रूपये 2016 -17 में 2.13 करोड़ रूपये 2017 -18 में 2.07 करोड़ रूपये 2020 -21 में 1 .03 करोड़ रूपये की फंडिंग की. Ford Foundation ने 2016 -17 में 70 लाख रूपये 2018 -19 में 63 लाख रूपये इस से पहले सोरोस के एक पार्टनर Hivos से भी 37 .5 लाख रूपये भी ले रखे हैं.. इंडियन फार्मा के खिलाफ अमेरिका में बैठ कर प्रोपगंडा चलाने वाले फाउंडेशन से भी 21 लाख ले रखे हैं.. अब आते हैं कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट पर..तो इसी Omidiyar पर CBI ने FCRA में इललीगल फंडिंग का केस कर रखा है..इसको अपनी दुकान भारत से हटाने का कह दिया गया है. फोर्ड फाउंडेशन किसके इशारे पर चलता है उसके बारे में सब जानते ही हैं.. और सोरोस तो खुले तौर पर भारत के लोकतंत्र के खिलाफ जंग का ऐलान कर ही चुका है.. ऐसे में सवाल यह होना चाहिए कि जांच ADR की फॉरेन फंडिंग, इसको चलाने वाले लोगों के बाहरी इंटरेस्ट, और बाहर से इसको पैसा देने वालों के इंडियन बिजनेस इंटरेस्ट एंगल की भी गहनता से जांच होनी चाहिए. भारतीय कॉर्पोरेट की फंडिंग की लिस्ट फोर्ड फाउंडेशन, ओमिड्यार, सोरोस के हाथ में आ जाने से कितना कुछ खराब हो सकता है, इंटरनेशनल बिजनेस इंटरेस्ट में एआरएम ट्विस्टिंग हो सकती है इसका अंदाजा अभी किसी को नहीं है. CHECKMATE by Mota Bhai
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  • Beware of these four institutions which are the source of all anti Bharat propaganda

    1. George Soros's open society
    2. Rockefeller
    3. Ford foundation
    4. Omidyar
    Beware of these four institutions which are the source of all anti Bharat propaganda 1. George Soros's open society 2. Rockefeller 3. Ford foundation 4. Omidyar
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