• एक बार फिर से सेना के विरुद्ध खड़ी हो गई है कांग्रेस


    एक अग्निवीर सैनिक की मृत्यु पर उनके परिवार को दिए जाने वाले पैसे के मामले पर कांग्रेस ने इतना जहरीला झूठ बोला कि खुद सेना को सामने आ कर उसका खंडन करना पड़ा।

    आप सोचिये... यह कितनी बड़ी बात है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता द्वारा संसद में एक बहुत बड़ा झूठ बोला गया, वह भी इतने संवेदनशील मामले पर... जिसमें सरकार, रक्षा मंत्रालय और सेना को लपेटा गया... और अंततः सेना को खुद इस झूठ को उजागर करने के लिए सामने आना पड़ा।

    आपको लगा होगा यह पहली बार हुआ है... लेकिन ऐसा है नहीं। आज कांग्रेस सेना के सम्मान के लिए हल्ला मचा रही है... लेकिन सच जानते हैं क्या है?

    कांग्रेस ने आजादी के बाद जिस संस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, जिस संस्था को सबसे ज्यादा बेइज्जत किया है... वह है भारतीय सेना।

    चलिए आपको बताते हैं कुछ अनजान किस्से... जो शायद आपको नहीं पता हों... कैसे और कहाँ कांग्रेस ने सेना के सम्मान को तार तार किया है।

    तीन मूर्ति भवन तो आपने सुना ही होगा... यह 1930 में बन कर तैयार हुआ था... इसका नाम था फ्लैग स्टाफ हाउस... जिसे तत्कालीन भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ के लिए बनाया गया... यानी तब के सेना अध्यक्ष के लिए।

    और जैसे ही आजादी मिली... नेहरू जी धड़धड़ाते हुए इस 30 एकड़ के विशाल भवन में घुस गए और इसे अपना घर बना लिया... सेना को तुरंत बाहर निकाल दिया गया।

    उसके बाद यहाँ नेहरू मेमोरियल बना दिया, प्लेनेटरियम बना दिया, लाइब्रेरी बना दी, म्यूजियम बना दिया... कुल मिलाकर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया।

    वो तो भला हो मोदी का... जिन्होंने इस सम्पत्ति को नेहरू गाँधी परिवार के चंगुल से निकाला... और इसे अब प्रधानमंत्री संग्रहालय बना दिया गया है... जहाँ सभी प्रधानमंत्रियों के काम के बारे में बताया जाता है।

    आजादी के पहले हमारे देश के जितने भी सैनिक मारे गए थे युद्ध में... उनके लिए इंडिया गेट बनाया गया था... लेकिन उसके बाद बलिदान हुए सैनिकों के लिए कुछ नहीं था... 50-60 के दशक से ही सेना एक वॉर मेमोरियल बनाने की मांग करती आई थी... जिसे कांग्रेस सरकार ने कभी नहीं माना।

    इस काम के लिए भी मोदी जी ही आगे आये और वॉर मेमोरियल बनवाया।

    हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी तो सेना को कभी चाहते ही नहीं थे... उनके हिसाब से भारत जैसे शांतिप्रिय देश को सेना नहीं चाहिए... इतना भारी भरकम खर्च नहीं करना चाहिए... उनकी इसी सोच के कारण उनके सेना के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे।

    आजादी के बाद भारतीय सेना का नेतृत्व करने के लिए तीन बड़े अफसर तैयार थे... जिनमें से एक थे तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल करियप्पा... लेकिन नेहरू जी ने चुना था जनरल रॉय बुचर को... जो जनवरी 1949 तक भारतीय सेना के चीफ रहे।

    भारत के फील्ड मार्शल करियप्पा के साथ भी नेहरू जी ने कोई अच्छा व्यवहार नहीं किया। जब 1947-48 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई हुई तो नेहरू जी UN पहुंच गए, जबकि 2-3 दिन और लड़ाई चलती तो POK, गिलगित बल्टीस्तान भारत के पास होते।

    जब तत्कालीन जनरल करियप्पा ने इस बारे में नेहरू जी से पूछा, तो उन्हें दुनिया जहाँ की राजनीति का ज्ञान मिला।

    1951 में जब NEFA, जिसे हम अरुणाचल प्रदेश के नाम से जानते हैं... वहाँ कुछ चीनी सैनिक पकड़े गए थे, जिनके पास से कुछ आपत्तिजनक नक़्शे और जानकारियां मिली थी... जनरल करियप्पा ने यह बात जब नेहरू जी को बताई... तो उन्हें यह कह कर चुप करा दिया गया, कि अब क्या तुम हमें बताओगे कि हम किसे अपना दोस्त समझें और किसे दुश्मन।

    यह सारी जानकारियां फील्ड मार्शल करियप्पा के बेटे एयर मार्शल केसी करियप्पा ने उनकी बायोग्राफी में लिखी हैं।

    नेहरू जी ने फील्ड मार्शल करियप्पा के साथ बहुत खेल किये... उन्हें परेशान किया... उनकी सिफारिश नहीं मानते थे... और जब वह इस्तीफ़ा देने को कहते थे तो टाल मटोल करते थे।

    ऐसे ही नेहरू जी ने जनरल थिमैया जी के साथ किया... उन्हें गुस्सा हो कर इस्तीफ़ा देने को कहा... और कुछ ही घंटे बाद वापस लेने को कहा।

    1962 के युद्ध में भी नेहरू जी ने अपने मनमुताबिक लोगों को युद्ध की अगुवाई करने को कहा... जनरल थापर... जो करण थापर के पिता हैं... और रोमिला थापर जिनकी भतीजी थी... उन्हें आगे बढ़ाया।

    और परिणाम क्या मिला, आपको पता ही है।

    भारत द्वितीय विश्व युद्ध के समय तक दुनिया के बड़े रक्षा उत्पाद देशों में आता था... मित्र देशों के लिए हमारी आयुध कारखानों से हथियार बन कर जाते थे...

    लेकिन नेहरू जी और उनके मित्र रक्षामंत्री मेनन के अनुसार तो यह सब बेकार था... उन्होंने आयुध कारखानों में हथियार की जगह चीनी मिट्टी के बर्तन... छोटे मोटे उपकरण बनवाने शुरू किये और सेना से सम्बंधित चीजें, जैसे कपड़े, जूते, मोज़े तक बनाने बंद कर दिए... और जब 1962 में युद्ध हुआ, तो हमारे पास गोलियां नहीं थीं...
    सैनिकों के लिए कपड़े नहीं थे... सर्दी से बचाव के लिए कपड़े नहीं थे... जूते मोज़े तक नहीं थे।

    1971 का युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे बड़े युद्ध में से एक था... और 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण करवाना तो बहुत बड़ा कारनामा था... जो आधुनिक इतिहास में अनूठा था। ऐसे कारनामें करने वाली आर्मी को मान सम्मान, पैसा मिलना चाहिए था... लेकिन मिला क्या?? आर्मी की OROP बंद कर दी गई।

    हमारे देश के हीरो, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को कई सालों तक सैलरी और अन्य भत्ते नहीं दिए गए... इन चीजों के लिए उन्हें लड़ना पड़ा... और बाद में उनकी मृत्यु से कुछ ही समय पहले उन्हें यह पैसा दिया गया था।

    उनकी मृत्यु पर तत्कालीन केंद्रीय सरकार ने एक रक्षा राज्यमंत्री को भेजा... अन्य कोई मंत्री नहीं गया था... उनके अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री और यहाँ तक की तीनों सशस्त्र बल चीफ में से कोई नहीं गया।

    मानेकशॉ जी हमारे देश के सबसे बड़े हीरो में से एक रहे हैं... उनका कैसा सम्मान किया वो आप देख लीजिये।

    राजीव जी तो और भी आगे निकले... कहा जाता है कि भारतीय शांति रक्षा सेना को अपने अहंकार संतुष्टि के लिए श्रीलंका भेज दिया... कश्मीर जैसे ऊँचे इलाके और मैदानी इलाकों में तैनात सैनिकों को रातों रात जाफना के घने अँधेरे जंगलों में भेज दिया गया... वो भी गुरिल्ला आतंकवादियों LTTE से लड़ने के लिए।

    कभी समय हो तो जाफना विश्वविद्यालय हेलिड्रॉप के बारे में पढ़ियेगा... माना जाता है कि बिना किसी तैयारी और बेकार ख़ुफ़िया तंत्र के कारण हमारे 36 सैनिक मारे गए।

    जब हमारे सैनिकों को हेलीकाप्टर से जाफना विश्वविद्यालय में ड्रॉप किया गया... तब तक उन्हें चारों तरफ से घेर लिया गया था... और उसके बाद LTTE वालों ने उन्हें गोलियों से छिन्न भिन्न कर दिया था... एक एक सैनिक के शरीर में पचासों गोलियाँ पाई गईं थीं... इसी से समझ लीजिये यह कैसा ऑपरेशन हुआ होगा।

    कारगिल युद्ध से पहले तो हमारे सैनिकों के शव वापस घर भेजने की व्यवस्था ही नहीं होती थी... डेड बॉडी के दर्शन नहीं होते थे परिवार को।

    कारगिल युद्ध में पहली बार यह सुनिश्चित किया गया कि बलिदान हुए सैनिकों के परिवारों को उनकी डेड बॉडी तो मिलें... साथ ही कारगिल युद्ध के बाद ही मृत सैनिकों के परिवारों के लिए क्षतिपूर्ति रकम बढ़ाई गई... कई तरह की सहूलियत दी गई... बच्चों के लिए स्कूल कॉलेज में आरक्षण आदि दिया गया... परिवार को पेट्रोल पंप देने की व्यवस्था की गई।

    इस रकम को मोदी सरकार के आने के बाद और बढ़ाया गया।

    कांग्रेस को पसंद नहीं था कि मृत सैनिकों के शव उनके परिवारों को मिले... इसलिए कांग्रेस ने ताबूत घोटाले का हौवा खड़ा कर दिया... जॉर्ज फर्नांडिस जैसे बेहद ईमानदार नेता पर लांछन लगाया... और वह कई साल इस दाग़ को मिटाने के लिए लड़ते रहे...

    अंततः सुप्रीम कोर्ट ने सारे आरोप नकारे... लेकिन तब तक फर्नांडिस जी शारीरिक रूप से अक्षम हो चुके थे... उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था... वह अपने ऊपर लगे इस दाग़ को मिटने की ख़बर को समझे बिना ही दुनिया से चले गए।

    भारतीय सेना के CAOS को गली का गुंडा कहने वाला भी एक कांग्रेसी नेता ही था... शीला दीक्षित का बेटा संदीप दीक्षित।

    CAOS वीके सिंह को बदनाम करने वाले... और उन पर तख्तापलट करने का आरोप लगाने वाले भी कांग्रेस इकोसिस्टम के लोग थे।

    उरी की सर्जीकल स्ट्राइक, बालाकोट की सर्जीकल स्ट्राइक का पाकिस्तान से ज्यादा मजाक कांग्रेस वालों ने ही उड़ाया।

    चीन के साथ कभी भी झड़प होती है... तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम भारतीय सेना को बदनाम करने के लिए खड़ा होता है। कोई कहता है चीन 1000 किलोमीटर अंदर आ गया... कोई कहता है हमारे जवान निकम्मे हैं।

    हमारे देश के प्रथम CDS, जनरल बिपिन रावत का अपमान करने वाले कांग्रेस के ही लोग थे... उनकी मृत्यु पर हंसने वाले भी उसी इकोसिस्टम के लोग थे।

    मोदी ने और CDS जनरल रावत ने मिलकर मेक इन इंडिया पर जोर दिया... जितने भी हथियार दूसरे देशों से लिए, सब गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील में लिए... और जो लिए उन्हें भारत में ही उत्पादन करने और तकनीक के हस्तांतरण की शर्त के साथ लिया।

    यही कारण था कि कांग्रेस वाले CDS रावत जी से चिढ़ते थे।

    OROP के लिए सेना 1971 से इसी कांग्रेस सरकार से लड़ रही थी... 2014 में जब इन्हें लगा कि अब सरकार नहीं बनेगी... तब सेना के लोगों को रिझाने के लिए चुनाव से पहले OROP के लिए मात्र 500 करोड़ रुपए आवंटित करके गए थे मनमोहन सिंह जी।

    जबकि 500 करोड़ में तो कुछ नहीं होता...जब मोदी जो ने OROP लागू किया... तो पुराने बकाये के रूप में 10,000 करोड़ रुपए की रकम लाखों पेंशनर्स को दी गई थी... उसके बाद हर साल 7-8 हजार करोड़ का सालाना खर्च सिर्फ OROP पेंशन में होता है।
    और कांग्रेस 500 करोड़ का लॉलीपॉप दिखा कर सैनिकों के वोट खरीदना चाहती थी... है ना कमाल की बात।

    और आज यही कांग्रेस वाले सेना के सम्मान की बात करते हैं...

    खैर कांग्रेस से ज्यादा तो हमारे देश के लोग कमाल हैं... जिन्हें यह सब पता होते हुए भी शर्म नहीं आती... और अपने छोटे मोटे स्वार्थ के लिए बिक जाते हैं।
    एक बार फिर से सेना के विरुद्ध खड़ी हो गई है कांग्रेस एक अग्निवीर सैनिक की मृत्यु पर उनके परिवार को दिए जाने वाले पैसे के मामले पर कांग्रेस ने इतना जहरीला झूठ बोला कि खुद सेना को सामने आ कर उसका खंडन करना पड़ा। आप सोचिये... यह कितनी बड़ी बात है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता द्वारा संसद में एक बहुत बड़ा झूठ बोला गया, वह भी इतने संवेदनशील मामले पर... जिसमें सरकार, रक्षा मंत्रालय और सेना को लपेटा गया... और अंततः सेना को खुद इस झूठ को उजागर करने के लिए सामने आना पड़ा। आपको लगा होगा यह पहली बार हुआ है... लेकिन ऐसा है नहीं। आज कांग्रेस सेना के सम्मान के लिए हल्ला मचा रही है... लेकिन सच जानते हैं क्या है? कांग्रेस ने आजादी के बाद जिस संस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, जिस संस्था को सबसे ज्यादा बेइज्जत किया है... वह है भारतीय सेना। चलिए आपको बताते हैं कुछ अनजान किस्से... जो शायद आपको नहीं पता हों... कैसे और कहाँ कांग्रेस ने सेना के सम्मान को तार तार किया है। तीन मूर्ति भवन तो आपने सुना ही होगा... यह 1930 में बन कर तैयार हुआ था... इसका नाम था फ्लैग स्टाफ हाउस... जिसे तत्कालीन भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ के लिए बनाया गया... यानी तब के सेना अध्यक्ष के लिए। और जैसे ही आजादी मिली... नेहरू जी धड़धड़ाते हुए इस 30 एकड़ के विशाल भवन में घुस गए और इसे अपना घर बना लिया... सेना को तुरंत बाहर निकाल दिया गया। उसके बाद यहाँ नेहरू मेमोरियल बना दिया, प्लेनेटरियम बना दिया, लाइब्रेरी बना दी, म्यूजियम बना दिया... कुल मिलाकर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया। वो तो भला हो मोदी का... जिन्होंने इस सम्पत्ति को नेहरू गाँधी परिवार के चंगुल से निकाला... और इसे अब प्रधानमंत्री संग्रहालय बना दिया गया है... जहाँ सभी प्रधानमंत्रियों के काम के बारे में बताया जाता है। आजादी के पहले हमारे देश के जितने भी सैनिक मारे गए थे युद्ध में... उनके लिए इंडिया गेट बनाया गया था... लेकिन उसके बाद बलिदान हुए सैनिकों के लिए कुछ नहीं था... 50-60 के दशक से ही सेना एक वॉर मेमोरियल बनाने की मांग करती आई थी... जिसे कांग्रेस सरकार ने कभी नहीं माना। इस काम के लिए भी मोदी जी ही आगे आये और वॉर मेमोरियल बनवाया। हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी तो सेना को कभी चाहते ही नहीं थे... उनके हिसाब से भारत जैसे शांतिप्रिय देश को सेना नहीं चाहिए... इतना भारी भरकम खर्च नहीं करना चाहिए... उनकी इसी सोच के कारण उनके सेना के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे। आजादी के बाद भारतीय सेना का नेतृत्व करने के लिए तीन बड़े अफसर तैयार थे... जिनमें से एक थे तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल करियप्पा... लेकिन नेहरू जी ने चुना था जनरल रॉय बुचर को... जो जनवरी 1949 तक भारतीय सेना के चीफ रहे। भारत के फील्ड मार्शल करियप्पा के साथ भी नेहरू जी ने कोई अच्छा व्यवहार नहीं किया। जब 1947-48 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई हुई तो नेहरू जी UN पहुंच गए, जबकि 2-3 दिन और लड़ाई चलती तो POK, गिलगित बल्टीस्तान भारत के पास होते। जब तत्कालीन जनरल करियप्पा ने इस बारे में नेहरू जी से पूछा, तो उन्हें दुनिया जहाँ की राजनीति का ज्ञान मिला। 1951 में जब NEFA, जिसे हम अरुणाचल प्रदेश के नाम से जानते हैं... वहाँ कुछ चीनी सैनिक पकड़े गए थे, जिनके पास से कुछ आपत्तिजनक नक़्शे और जानकारियां मिली थी... जनरल करियप्पा ने यह बात जब नेहरू जी को बताई... तो उन्हें यह कह कर चुप करा दिया गया, कि अब क्या तुम हमें बताओगे कि हम किसे अपना दोस्त समझें और किसे दुश्मन। यह सारी जानकारियां फील्ड मार्शल करियप्पा के बेटे एयर मार्शल केसी करियप्पा ने उनकी बायोग्राफी में लिखी हैं। नेहरू जी ने फील्ड मार्शल करियप्पा के साथ बहुत खेल किये... उन्हें परेशान किया... उनकी सिफारिश नहीं मानते थे... और जब वह इस्तीफ़ा देने को कहते थे तो टाल मटोल करते थे। ऐसे ही नेहरू जी ने जनरल थिमैया जी के साथ किया... उन्हें गुस्सा हो कर इस्तीफ़ा देने को कहा... और कुछ ही घंटे बाद वापस लेने को कहा। 1962 के युद्ध में भी नेहरू जी ने अपने मनमुताबिक लोगों को युद्ध की अगुवाई करने को कहा... जनरल थापर... जो करण थापर के पिता हैं... और रोमिला थापर जिनकी भतीजी थी... उन्हें आगे बढ़ाया। और परिणाम क्या मिला, आपको पता ही है। भारत द्वितीय विश्व युद्ध के समय तक दुनिया के बड़े रक्षा उत्पाद देशों में आता था... मित्र देशों के लिए हमारी आयुध कारखानों से हथियार बन कर जाते थे... लेकिन नेहरू जी और उनके मित्र रक्षामंत्री मेनन के अनुसार तो यह सब बेकार था... उन्होंने आयुध कारखानों में हथियार की जगह चीनी मिट्टी के बर्तन... छोटे मोटे उपकरण बनवाने शुरू किये और सेना से सम्बंधित चीजें, जैसे कपड़े, जूते, मोज़े तक बनाने बंद कर दिए... और जब 1962 में युद्ध हुआ, तो हमारे पास गोलियां नहीं थीं... सैनिकों के लिए कपड़े नहीं थे... सर्दी से बचाव के लिए कपड़े नहीं थे... जूते मोज़े तक नहीं थे। 1971 का युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे बड़े युद्ध में से एक था... और 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण करवाना तो बहुत बड़ा कारनामा था... जो आधुनिक इतिहास में अनूठा था। ऐसे कारनामें करने वाली आर्मी को मान सम्मान, पैसा मिलना चाहिए था... लेकिन मिला क्या?? आर्मी की OROP बंद कर दी गई। हमारे देश के हीरो, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को कई सालों तक सैलरी और अन्य भत्ते नहीं दिए गए... इन चीजों के लिए उन्हें लड़ना पड़ा... और बाद में उनकी मृत्यु से कुछ ही समय पहले उन्हें यह पैसा दिया गया था। उनकी मृत्यु पर तत्कालीन केंद्रीय सरकार ने एक रक्षा राज्यमंत्री को भेजा... अन्य कोई मंत्री नहीं गया था... उनके अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री और यहाँ तक की तीनों सशस्त्र बल चीफ में से कोई नहीं गया। मानेकशॉ जी हमारे देश के सबसे बड़े हीरो में से एक रहे हैं... उनका कैसा सम्मान किया वो आप देख लीजिये। राजीव जी तो और भी आगे निकले... कहा जाता है कि भारतीय शांति रक्षा सेना को अपने अहंकार संतुष्टि के लिए श्रीलंका भेज दिया... कश्मीर जैसे ऊँचे इलाके और मैदानी इलाकों में तैनात सैनिकों को रातों रात जाफना के घने अँधेरे जंगलों में भेज दिया गया... वो भी गुरिल्ला आतंकवादियों LTTE से लड़ने के लिए। कभी समय हो तो जाफना विश्वविद्यालय हेलिड्रॉप के बारे में पढ़ियेगा... माना जाता है कि बिना किसी तैयारी और बेकार ख़ुफ़िया तंत्र के कारण हमारे 36 सैनिक मारे गए। जब हमारे सैनिकों को हेलीकाप्टर से जाफना विश्वविद्यालय में ड्रॉप किया गया... तब तक उन्हें चारों तरफ से घेर लिया गया था... और उसके बाद LTTE वालों ने उन्हें गोलियों से छिन्न भिन्न कर दिया था... एक एक सैनिक के शरीर में पचासों गोलियाँ पाई गईं थीं... इसी से समझ लीजिये यह कैसा ऑपरेशन हुआ होगा। कारगिल युद्ध से पहले तो हमारे सैनिकों के शव वापस घर भेजने की व्यवस्था ही नहीं होती थी... डेड बॉडी के दर्शन नहीं होते थे परिवार को। कारगिल युद्ध में पहली बार यह सुनिश्चित किया गया कि बलिदान हुए सैनिकों के परिवारों को उनकी डेड बॉडी तो मिलें... साथ ही कारगिल युद्ध के बाद ही मृत सैनिकों के परिवारों के लिए क्षतिपूर्ति रकम बढ़ाई गई... कई तरह की सहूलियत दी गई... बच्चों के लिए स्कूल कॉलेज में आरक्षण आदि दिया गया... परिवार को पेट्रोल पंप देने की व्यवस्था की गई। इस रकम को मोदी सरकार के आने के बाद और बढ़ाया गया। कांग्रेस को पसंद नहीं था कि मृत सैनिकों के शव उनके परिवारों को मिले... इसलिए कांग्रेस ने ताबूत घोटाले का हौवा खड़ा कर दिया... जॉर्ज फर्नांडिस जैसे बेहद ईमानदार नेता पर लांछन लगाया... और वह कई साल इस दाग़ को मिटाने के लिए लड़ते रहे... अंततः सुप्रीम कोर्ट ने सारे आरोप नकारे... लेकिन तब तक फर्नांडिस जी शारीरिक रूप से अक्षम हो चुके थे... उनके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था... वह अपने ऊपर लगे इस दाग़ को मिटने की ख़बर को समझे बिना ही दुनिया से चले गए। भारतीय सेना के CAOS को गली का गुंडा कहने वाला भी एक कांग्रेसी नेता ही था... शीला दीक्षित का बेटा संदीप दीक्षित। CAOS वीके सिंह को बदनाम करने वाले... और उन पर तख्तापलट करने का आरोप लगाने वाले भी कांग्रेस इकोसिस्टम के लोग थे। उरी की सर्जीकल स्ट्राइक, बालाकोट की सर्जीकल स्ट्राइक का पाकिस्तान से ज्यादा मजाक कांग्रेस वालों ने ही उड़ाया। चीन के साथ कभी भी झड़प होती है... तो कांग्रेस और उसका पूरा इकोसिस्टम भारतीय सेना को बदनाम करने के लिए खड़ा होता है। कोई कहता है चीन 1000 किलोमीटर अंदर आ गया... कोई कहता है हमारे जवान निकम्मे हैं। हमारे देश के प्रथम CDS, जनरल बिपिन रावत का अपमान करने वाले कांग्रेस के ही लोग थे... उनकी मृत्यु पर हंसने वाले भी उसी इकोसिस्टम के लोग थे। मोदी ने और CDS जनरल रावत ने मिलकर मेक इन इंडिया पर जोर दिया... जितने भी हथियार दूसरे देशों से लिए, सब गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील में लिए... और जो लिए उन्हें भारत में ही उत्पादन करने और तकनीक के हस्तांतरण की शर्त के साथ लिया। यही कारण था कि कांग्रेस वाले CDS रावत जी से चिढ़ते थे। OROP के लिए सेना 1971 से इसी कांग्रेस सरकार से लड़ रही थी... 2014 में जब इन्हें लगा कि अब सरकार नहीं बनेगी... तब सेना के लोगों को रिझाने के लिए चुनाव से पहले OROP के लिए मात्र 500 करोड़ रुपए आवंटित करके गए थे मनमोहन सिंह जी। जबकि 500 करोड़ में तो कुछ नहीं होता...जब मोदी जो ने OROP लागू किया... तो पुराने बकाये के रूप में 10,000 करोड़ रुपए की रकम लाखों पेंशनर्स को दी गई थी... उसके बाद हर साल 7-8 हजार करोड़ का सालाना खर्च सिर्फ OROP पेंशन में होता है। और कांग्रेस 500 करोड़ का लॉलीपॉप दिखा कर सैनिकों के वोट खरीदना चाहती थी... है ना कमाल की बात। और आज यही कांग्रेस वाले सेना के सम्मान की बात करते हैं... खैर कांग्रेस से ज्यादा तो हमारे देश के लोग कमाल हैं... जिन्हें यह सब पता होते हुए भी शर्म नहीं आती... और अपने छोटे मोटे स्वार्थ के लिए बिक जाते हैं।
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  • देश की जनता-जनार्दन ने एनडीए पर लगातार तीसरी बार अपना विश्वास जताया है।

    भारत के इतिहास में ये एक अभूतपूर्व पल है।
    मैं इस स्नेह और आशीर्वाद के लिए अपने परिवारजनों को नमन करता हूं।

    मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हम नई ऊर्जा, नई उमंग, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ेंगे।

    सभी कार्यकर्ताओं ने जिस समर्पण भाव से अथक मेहनत की है, मैं इसके लिए उनका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं।
    Narendra Modi
    देश की जनता-जनार्दन ने एनडीए पर लगातार तीसरी बार अपना विश्वास जताया है। भारत के इतिहास में ये एक अभूतपूर्व पल है। मैं इस स्नेह और आशीर्वाद के लिए अपने परिवारजनों को नमन करता हूं। मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हम नई ऊर्जा, नई उमंग, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ेंगे। सभी कार्यकर्ताओं ने जिस समर्पण भाव से अथक मेहनत की है, मैं इसके लिए उनका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं। Narendra Modi
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  • यदि महाभारत को पढ़ने का समय न हो तो भी इसके नौ सार- सूत्र हमारे जीवन में उपयोगी सिद्ध हो सकते है, जरूर पढ़े...

    1.संतानों की गलत माँग और हठ पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो अंत में आप असहाय हो जायेंगे- कौरव

    2.आप भले ही कितने बलवान हो लेकिन अधर्म के साथ हो तो, आपकी विद्या, अस्त्र-शस्त्र शक्ति और वरदान सब निष्फल हो जायेगा - कर्ण

    3.संतानों को इतना महत्वाकांक्षी मत बना दो कि विद्या का दुरुपयोग कर स्वयंनाश कर सर्वनाश को आमंत्रित करे- अश्वत्थामा

    4.कभी किसी को ऐसा वचन मत दो कि आपको अधर्मियों के आगे समर्पण करना पड़े -भीष्म पितामह

    5.संपत्ति, शक्ति व सत्ता का दुरुपयोग और दुराचारियों का साथ अंत में स्वयंनाश का दर्शन कराता है -दुर्योधन

    6.अं ध व्यक्ति- अर्थात मुद्रा, मदिरा, अज्ञान, मोह और काम ( मृदुला) अंध व्यक्ति के हाथ में सत्ता भी विनाश की ओर ले जाती है -धृतराष्ट्र

    7. यदि व्यक्ति के पास विद्या, विवेक से बँधी हो तो विजय अवश्य मिलती है -अर्जुन

    8. हर कार्य में छल, कपट, व प्रपंच रच कर आप हमेशा सफल नहीं हो सकते - शकुनि

    9. यदि आप नीति, धर्म, व कर्म का सफलता पूर्वक पालन करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती - युधिष्ठिर

    यदि इन नौ सूत्रों से सबक लेना सम्भव नहीं होता है तो जीवन मे महाभारत संभव हो जाता है..
    जय श्रीकृष्णा, जय गोविंदा ✨🙏

    तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
    यदि महाभारत को पढ़ने का समय न हो तो भी इसके नौ सार- सूत्र हमारे जीवन में उपयोगी सिद्ध हो सकते है, जरूर पढ़े... 1.संतानों की गलत माँग और हठ पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो अंत में आप असहाय हो जायेंगे- कौरव 2.आप भले ही कितने बलवान हो लेकिन अधर्म के साथ हो तो, आपकी विद्या, अस्त्र-शस्त्र शक्ति और वरदान सब निष्फल हो जायेगा - कर्ण 3.संतानों को इतना महत्वाकांक्षी मत बना दो कि विद्या का दुरुपयोग कर स्वयंनाश कर सर्वनाश को आमंत्रित करे- अश्वत्थामा 4.कभी किसी को ऐसा वचन मत दो कि आपको अधर्मियों के आगे समर्पण करना पड़े -भीष्म पितामह 5.संपत्ति, शक्ति व सत्ता का दुरुपयोग और दुराचारियों का साथ अंत में स्वयंनाश का दर्शन कराता है -दुर्योधन 6.अं ध व्यक्ति- अर्थात मुद्रा, मदिरा, अज्ञान, मोह और काम ( मृदुला) अंध व्यक्ति के हाथ में सत्ता भी विनाश की ओर ले जाती है -धृतराष्ट्र 7. यदि व्यक्ति के पास विद्या, विवेक से बँधी हो तो विजय अवश्य मिलती है -अर्जुन 8. हर कार्य में छल, कपट, व प्रपंच रच कर आप हमेशा सफल नहीं हो सकते - शकुनि 9. यदि आप नीति, धर्म, व कर्म का सफलता पूर्वक पालन करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती - युधिष्ठिर यदि इन नौ सूत्रों से सबक लेना सम्भव नहीं होता है तो जीवन मे महाभारत संभव हो जाता है.. जय श्रीकृष्णा, जय गोविंदा ✨🙏 तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्। महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
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    1.संतानों की गलत माँग और हठ पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो अंत में आप असहाय हो जायेंगे- कौरव

    2.आप भले ही कितने बलवान हो लेकिन अधर्म के साथ हो तो, आपकी विद्या, अस्त्र-शस्त्र शक्ति और वरदान सब निष्फल हो जायेगा - कर्ण

    3.संतानों को इतना महत्वाकांक्षी मत बना दो कि विद्या का दुरुपयोग कर स्वयंनाश कर सर्वनाश को आमंत्रित करे- अश्वत्थामा

    4.कभी किसी को ऐसा वचन मत दो कि आपको अधर्मियों के आगे समर्पण करना पड़े -भीष्म पितामह

    5.संपत्ति, शक्ति व सत्ता का दुरुपयोग और दुराचारियों का साथ अंत में स्वयंनाश का दर्शन कराता है -दुर्योधन

    6.अं ध व्यक्ति- अर्थात मुद्रा, मदिरा, अज्ञान, मोह और काम ( मृदुला) अंध व्यक्ति के हाथ में सत्ता भी विनाश की ओर ले जाती है -धृतराष्ट्र

    7. यदि व्यक्ति के पास विद्या, विवेक से बँधी हो तो विजय अवश्य मिलती है -अर्जुन

    8. हर कार्य में छल, कपट, व प्रपंच रच कर आप हमेशा सफल नहीं हो सकते - शकुनि

    9. यदि आप नीति, धर्म, व कर्म का सफलता पूर्वक पालन करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती - युधिष्ठिर

    यदि इन नौ सूत्रों से सबक लेना सम्भव नहीं होता है तो जीवन मे महाभारत संभव हो जाता है..
    जय श्रीकृष्णा, जय गोविंदा ✨🙏

    तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
    यदि महाभारत को पढ़ने का समय न हो तो भी इसके नौ सार- सूत्र हमारे जीवन में उपयोगी सिद्ध हो सकते है, जरूर पढ़ें... 1.संतानों की गलत माँग और हठ पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो अंत में आप असहाय हो जायेंगे- कौरव 2.आप भले ही कितने बलवान हो लेकिन अधर्म के साथ हो तो, आपकी विद्या, अस्त्र-शस्त्र शक्ति और वरदान सब निष्फल हो जायेगा - कर्ण 3.संतानों को इतना महत्वाकांक्षी मत बना दो कि विद्या का दुरुपयोग कर स्वयंनाश कर सर्वनाश को आमंत्रित करे- अश्वत्थामा 4.कभी किसी को ऐसा वचन मत दो कि आपको अधर्मियों के आगे समर्पण करना पड़े -भीष्म पितामह 5.संपत्ति, शक्ति व सत्ता का दुरुपयोग और दुराचारियों का साथ अंत में स्वयंनाश का दर्शन कराता है -दुर्योधन 6.अं ध व्यक्ति- अर्थात मुद्रा, मदिरा, अज्ञान, मोह और काम ( मृदुला) अंध व्यक्ति के हाथ में सत्ता भी विनाश की ओर ले जाती है -धृतराष्ट्र 7. यदि व्यक्ति के पास विद्या, विवेक से बँधी हो तो विजय अवश्य मिलती है -अर्जुन 8. हर कार्य में छल, कपट, व प्रपंच रच कर आप हमेशा सफल नहीं हो सकते - शकुनि 9. यदि आप नीति, धर्म, व कर्म का सफलता पूर्वक पालन करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती - युधिष्ठिर यदि इन नौ सूत्रों से सबक लेना सम्भव नहीं होता है तो जीवन मे महाभारत संभव हो जाता है.. जय श्रीकृष्णा, जय गोविंदा ✨🙏 तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्। महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
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  • A real hero of Unity! This great man (Sardar Vai Patel) had led the New India's Unification after the British did eveything to divide India in small small independent states.
    सरदार वल्लभभाई पटेल, नए स्वतंत्र भारत के एकीकरणकर्ता, ने अपने अद्वितीय योगदान के माध्यम से अद्वितीय स्थान में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने भारतीय संघ की रचना के लिए अपनी अद्वितीय क्षमताओं का समग्र उपयोग किया और देश के विभिन्न राज्यों को एक समृद्ध, एकजुट राष्ट्र में सम्मिलित किया। उनका समर्पण, कर्मठता, और आपसी समझ का परिचय देश को विभिन्न राज्यों के बीच सहमति और एकता में साधू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरदार पटेल को "भारत के एकीकरण के लौह पुरुष" के रूप में सम्मानित किया जाता है, और उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण नेता बना दिया।
    A real hero of Unity! This great man (Sardar Vai Patel) had led the New India's Unification after the British did eveything to divide India in small small independent states. सरदार वल्लभभाई पटेल, नए स्वतंत्र भारत के एकीकरणकर्ता, ने अपने अद्वितीय योगदान के माध्यम से अद्वितीय स्थान में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने भारतीय संघ की रचना के लिए अपनी अद्वितीय क्षमताओं का समग्र उपयोग किया और देश के विभिन्न राज्यों को एक समृद्ध, एकजुट राष्ट्र में सम्मिलित किया। उनका समर्पण, कर्मठता, और आपसी समझ का परिचय देश को विभिन्न राज्यों के बीच सहमति और एकता में साधू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरदार पटेल को "भारत के एकीकरण के लौह पुरुष" के रूप में सम्मानित किया जाता है, और उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण नेता बना दिया।
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  • Covid Returns । Modi Changing India । New Criminal Law Bill A Game Changer । Anti Men Courts । Trump

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    Covid Returns । Modi Changing India । New Criminal Law Bill A Game Changer । Anti Men Courts । Trump https://www.youtube.com/live/JSQp3ytXK_M?si=Vje7Icbwr3rwrE31 #NitinShukla #NitinShuklaLive #NewsAnalysisWithNitinShukla #NitinShuklaLatestVideo #BreakingNews #LatestNewsInHindi #LiveNews #IndiaNews #WorldNews #WorldNewsInHindi #InternationalNews #CurrentAffairs #AajTakLive #ZeeNewsLive #DnaLive #IndianNewsInHindi #NarendraModi Become a Volunteer Join us https://bit.ly/TeamNitinShukla Join this channel to get access to perks: https://www.youtube.com/channel/UCesq... Nationalist Tigers Form: https://bit.ly/NationalistTigers​ (केवल NRI के लिए, भारत में रहने वाले इस फॉर्म को ना भरें) Connect With Nitin Shukla : https://bit.ly/ConnectWithNitinShukla (हम से जुड़ने के लिए, केवल भारत में रहने वाले इस फॉर्म को भरें) KINDLY SUBSCRIBE NEW CHANNEL "Nitin Shukla Live" https://Youtube.Com/NitinShuklaLive​ कृपया दोनों चैनलों को सब्सक्राइब कर घंटी (bell icon) को ध्यान से All Notification कर ऑन कर लीजिएगा, वीडियो को लाइक और शेयर कर दीजियेगा 🙏 हमें सपोर्ट करने के लिए To Support us : BHIM UPI App : 8770720196 (Google Pay, Phone pe, Paytm, etc.) BHIM UPI Address: nshuklain@upi https://www.Patreon.com/NitinShukla​ https://www.Paypal.me/NitinShuklaGwl​ Bank Transfer Details: Central Bank of India Name: Nitin Enterprises A/c No.: 1616680252 IFSC : cbin0283092 SWIFT Code: cbininbbsiy आप हमसे अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भी जुड़िये Join us on other Platforms too Telegram:- https://t.me/nshuklain​ Join our Team - https://forms.gle/NtnAN6yHSANxHpK9A​ Twitter - https://twitter.com/nso365 Facebook - https://www.facebook.com/NitinShuklain​ Instagram - https://www.instagram.com/nshuklain​ Koo - https://www.Kooapp.com/profile/nshukl... Tooter - https://www.Tooter.in/nshuklain​ ShareChat - https://www.ShareChat.com/nshuklain​ Gab - https://www.Gab.com/NitinShukla​ YouTube - (1) https://www.YouTube.com/NitinShukla​ (2) https://www.YouTube.com/NitinShuklaLive​ आपके मेसेज हम तक सिर्फ तभी पहुचेंगे जब आप ऊपर दिए गये गूगल form की लिंक पर जा कर form भर कर सबमिट करेंगे, तभी आपका नाम व् नंबर हमारे पास सेव होगा अन्यथा नहीं Ram Mandir Donation Receipt Upload Form: https://forms.gle/Aem1uhZfsS5gssyt7​ (कृपया इस फॉर्म पर समर्पण राशी की रसीद अपलोड करें) Disclaimer: This video is not intended to undermine or degrade any person/company/organisation/etc. This is a analysis based on facts. The Thumbnails & Topic Headings provided are a creation of third party being an outsourced creation and may not represent the actual content, viewer's discretion advised. Copyright Disclaimer under section 107 of the copy right act 1976 allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, news reporting, teaching, comment, scholarship and research. Fair use is a use permitted by copyright status that might otherwise be infringing. Non profit, educational or personal use tips the balance in favour of fair use.
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  • Ram Mandir । 141 MPs Suspended from Parliament । Opposition Mocks Vice Prez । Marital Rape । Tech

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  • 13 / 12 / 1955

    A Tribute On Birth - Anniversary

    एक रत्न जिसे हमने बहुत जल्दी खो दिया।

    हमारे पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर जी को उनकी जयंती पर नमन।

    सरल, विनम्र, बुद्धिमान नेता और एक सच्चे योद्धा, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव में योगदान दिया।
    13 / 12 / 1955 A Tribute On Birth - Anniversary एक रत्न जिसे हमने बहुत जल्दी खो दिया। हमारे पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर जी को उनकी जयंती पर नमन। सरल, विनम्र, बुद्धिमान नेता और एक सच्चे योद्धा, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव में योगदान दिया।
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  • हमारे लिए राम का मुद्दा कभी चुनावी और राजनीतिक नहीं रहा हम हमेशा से राम मंदिर को भारत अस्मिता का सवाल मानते रहे, हमने हमेशा कहा है राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त करेंगे, जहां विपक्ष तथाकथित बाबरी मसजिद बनवाने की बात करता था हम राम मंदिर को हमारी पहचान मानते रहे, यहाँ तक कि गांधी जी भी मानते थे।
    हम जब दो सांसद की पार्टी थी अयोध्या में गोलियाँ चलती थी तब भी कहते थे राम मंदिर बनना चाहिए ये चार सौ की बहुमत वाली पार्टी होकर भी राम मंदिर के अस्तित्व पर सवाल करते थे।
    आज भले ही सब पार्टियाँ ऊपरी तौर पर राम मंदिर के पक्ष में बोलती हो परन्तु देश की जनता को पता है कि हमने राम के प्रति समर्पण भक्ति भाव से अर्थात “रीझ” कर किया है इन्होंने परिस्थितियों से विवश होकर अर्थात् “खीझ” कर किया
    https://x.com/sudhanshutrived/status/1721945595517256116?s=46&t=k7DOzt02q2xVLz7J4o4Rmg
    हमारे लिए राम का मुद्दा कभी चुनावी और राजनीतिक नहीं रहा हम हमेशा से राम मंदिर को भारत अस्मिता का सवाल मानते रहे, हमने हमेशा कहा है राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त करेंगे, जहां विपक्ष तथाकथित बाबरी मसजिद बनवाने की बात करता था हम राम मंदिर को हमारी पहचान मानते रहे, यहाँ तक कि गांधी जी भी मानते थे। हम जब दो सांसद की पार्टी थी अयोध्या में गोलियाँ चलती थी तब भी कहते थे राम मंदिर बनना चाहिए ये चार सौ की बहुमत वाली पार्टी होकर भी राम मंदिर के अस्तित्व पर सवाल करते थे। आज भले ही सब पार्टियाँ ऊपरी तौर पर राम मंदिर के पक्ष में बोलती हो परन्तु देश की जनता को पता है कि हमने राम के प्रति समर्पण भक्ति भाव से अर्थात “रीझ” कर किया है इन्होंने परिस्थितियों से विवश होकर अर्थात् “खीझ” कर किया https://x.com/sudhanshutrived/status/1721945595517256116?s=46&t=k7DOzt02q2xVLz7J4o4Rmg
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  • नेपाली कांग्रेसको केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक बुधबारदेखि सुरू हुने भएको छ।

    केन्द्रीय कार्यालय सानेपामा बुधबार दिउँसो १ बजे बैठक बस्ने भएको हो।

    बैठकका एजेन्डा कांग्रेसले तय गरिसकेको छ।

    सभापति र महामन्त्रीहरू बसेर बैठकका एजेन्डा तय गरिन्छ। तर सोमबार बेलुकी सभापति शेरबहादुर देउवा निवास धुम्बाराहीमा केन्द्रीय समितिका एजेन्डाबारे छलफल गर्न पदाधिकारी बैठक नै बसेको थियो।

    उक्त बैठकले केन्द्रीय समितिमा छलफल गरिने मोटामोटी एजेन्डा तय गरेको एक पदाधिकारीले सेतोपाटीलाई बताए।

    यसबीचमा कार्यसम्पादन समितिले गरेका निर्णय अनुमोदनका लागि पेश गर्ने तयारी छ। केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक बस्न नसक्दा कार्यसम्पादन समितिले निर्णय गर्न सक्ने विधानको व्यवस्था छ।

    कांग्रेसले गत वर्ष असार २७ गतेदेखि साउन २ गतेसम्म केन्द्रीय समिति बैठक गरेको थियो। त्यसपछि केन्द्रीय समिति बैठक हुन सकेको थिएन। यसबीचमा कार्यसम्पादन समितिले गरेका निर्णय केन्द्रीय समितिबाट अनुमोदन गर्न लागिएको हो।

    नीति अधिवेशनको मिति र स्थान तय गर्ने एजेन्डामाथि पनि केन्द्रीय समितिमा छलफल हुनेछ। कांग्रेसले दसैंअघि नीति अधिवेशन गर्ने तयारी गरेको छ।

    २०७८ मंसिरमा भएको १४ औं महाधिवेशनले नेतृत्व मात्रै चयन गरेको थियो। ६ महिनाभित्र नीति अधिवेशन गर्ने भने पनि डेढ वर्षसम्म मिति तय हुन सकेको छैन।

    संगठनको कार्ययोजना, कार्यतालिका र समसामयिक राजनीतिक घटनाक्रमबारे पनि केन्द्रीय समितिमा छलफल हुनेछ।

    साथै राष्ट्रव्यापी अभियानबारे पनि छलफल गर्ने कांग्रेसको तयारी छ। संगठन सुदृढीकरणका लागि देशैभर अभियान सञ्चालन गर्ने तयारीमा कांग्रेस छ।

    चुनावी समीक्षा, प्रदेश र केन्द्र सरकारका कामकारबाहीलगायत विभिन्न विषयमा पनि छलफल हुने गरी केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक गर्न लागिएको हो।

    सरकार र पार्टीबीच समन्वय नहुँदा समस्या भइरहेको केही दिनअघि जिल्ला सभापतिहरूले बैठकमा गुनासा गरेका थिए।

    प्रदेश र केन्द्रका सांसदहरूले पनि बजेट बिनियोजनमा गुनासो गर्दै आएका छन्। कांग्रेसका प्रवक्ता प्रकाशशरण महत केन्द्र सरकारमा अर्थमन्त्री छन्। अर्थमन्त्री महतले सबै जिल्लामा बजेट समान तवरले नपठाएको सांसदहरूको गुनासो छ।

    कांग्रेसमा १६८ सदस्यीय केन्द्रीय समिति रहने व्यवस्था भए पनि सभापति देउवाले केही संख्यामा केन्द्रीय सदस्य मनोनीत गर्न बाँकी छ। देउवाले कोषाध्यक्षसमेत मनोनीत गरेका छैनन्।

    यी काम महाधिवेशनबाट सभापति भएको ६ महिनाभित्रै गरिसक्नुपर्ने थियो। २८ विभागमध्ये प्रचार विभाग मात्रै गठन भएको छ। अन्य विभाग गठन र नेविसंघलगायत भ्रातृ संस्थाका तदर्थ समिति गठन हुन सकेको छैन।

    नेत्रविक्रम चन्दलाई समाजवादी मोर्चामा ल्याएपछि दाहालले पूर्वमाओवादीबीच एकताको गृहकार्य थालेका छन् । यसका लागि उनले उपाध्यक्ष कृष्णबहादुर महरालाई खटाएका छन् । ‘पूर्वमाओवादीहरू पनि छलफलमा छौं, एकताको आधार निर्माण हुँदै छ, पार्टी एकताका लागि ठोस पहल अगाडि बढाउँछौं,’ दाहालले शनिबार पोखरामा भने, ‘हामी विशेष महाधिवेशन गर्नेमा पनि छौं, एकता प्रयासलाई सँगसँगै लैजानुपर्छ ।’

    माओवादी उपाध्यक्ष अग्निप्रसाद सापकोटाले नेकपा विभाजनको गम्भीर समीक्षा गरेर विचारमा एकरूपता भएपछि मात्र पुनःएकता सम्भव हुने बताए । ‘एकताका लागि विचार, कार्यदिशा र रणनीतिमा स्पष्ट हुनुपर्छ,’ उनले भने, ‘विभाजनबाट सबैको चेत खुल्नुपर्छ ।’ राजनीतिक परिस्थितिका कारण कम्युनिस्टहरू एकताबद्ध हुने अवस्था आउने उनले बताए । ‘मलाई नेकपा पुनःएकता सम्भव छ भन्ने आत्मविश्वास बढ्दै गएको छ,’ उनले भने । वाम राजनीतिक विश्लेषक एवं माओवादी सचिव राम कार्कीले सत्ता स्वार्थका लागि पार्टी मिल्नु र स्वार्थकै कारण विभाजन हुनुले वामपन्थी आन्दोलन अघि नबढ्ने बताए । ‘नेकपा एकता र विभाजनलाई यहीसँग जोडेर हेर्नुपर्छ ।’

    एमाले अध्यक्ष ओलीले पनि नेकपा विभाजनको कारण खोज्नुपर्ने बताउन थालेका छन् । उनले विभाजनको मुख्य पात्र दाहाल र माधव नेपाल भएको आरोप लगाउँदै आएका छन् । असार १० मा एमाले नेता केशव बडालको किताबबारे बोल्दै ओलीले नेकपा विभाजनको कारण खोज्नुपर्ने बताएका हुन् । ‘अढाई वर्षअघि हाम्रो पार्टी विभाजन भयो, त्यसका पछाडिका कारणहरू के थिए ? उद्देश्यहरू के थिए ? किन विभाजन भयो ? किन गरियो ? कस्तो पृष्ठभूमिबाट त्यो विभाजनसम्म पुग्यो ? यी कुराहरू अलिकति आउनुपर्छ,’ उनले भने, ‘केका लागि विभाजन भयो ? के उद्देश्य थियो ? त्यसमा आन्तरिक कारण कति थियो ? बाह्य कारण कति थियो ? रिमोट कन्ट्रोल कति थियो ? यो सबै कुराको यथार्थ विश्लेषण हामीले आन्दोलनको हितका लागि गर्‍यौं भने भविष्यलाई राम्रो हुन्छ ।’

    एमाले र माओवादीले पारित गरेका छन् एकता प्रस्ताव

    एमालेको विधान महाधिवेशन (२०७८ असोज) र माओवादी महाधिवेशन (२०७८ पुस) ले नेकपा विभाजनको दोष एकअर्कालाई लगाएका छन् । योसँगै दुवै पार्टीले कम्युनिस्ट पार्टीबीच एकता प्रयास जारी राख्नेसमेत उल्लेख गरेका छन् ।

    सर्वोच्च अदालतले नेकपा एकीकरण भंग गरे पनि पुनः एकताबद्ध गर्ने सम्भावना रहेको एमाले दस्ताबेजमा उल्लेख छ । ‘कानुनी र राजनीतिक दृष्टिले नेकपाको एकीकरणको प्रक्रिया भंग भए पनि नेपाली कम्युनिस्ट आन्दोलनलाई एकताबद्ध गर्ने हाम्रो प्रयास इमानदार र निष्ठापूर्ण थियो,’ एमाले दस्ताबेजमा छ, ‘माओवादीको मूल नेतृत्व वैचारिक विचलन, संगठनात्मक अस्तव्यस्तता, अवसरवाद र अस्थिरताबाट गुज्रिरहेको तथ्य लुकेको थिएन । मूलतः सके पार्टी कब्जा गर्ने, नसके विभाजन गर्ने प्रचण्डका सोच र व्यवहारका कारण एकीकरण प्रक्रिया निष्कर्षमा नपुगी टुंगिएको छ ।’

    एमालेले कम्युनिस्टबीच एकता गर्ने पहल जारी रहने दस्ताबेजमा उल्लेख गरेको छ । ‘एमाले आज नयाँ स्वरूपमा पुनःस्थापित हुँदै अगाडि बढेको छ,’ दस्ताबेजमा उल्लेख छ, ‘कम्युनिस्ट आन्दोलनलाई एकताबद्ध बनाउने प्रयास भोलि पनि जारी रहनेछ ।’

    माओवादीको २०७८ पुसमा पारित राजनीतिक दस्ताबेजमा एमाले अध्यक्ष ओलीको निरंकुश चरित्रका कारण पार्टी विभाजन भएको आरोप लगाइएको छ । ‘केपी ओलीको चरम व्यक्तिवादी अहंकार, सहमतिविपरीत निरंकुश ढंगले पार्टी र सरकार चलाउने धृष्टता एवं उनमा रहेको मार्क्सवादविरोधी सामन्ती, दलाल, पुँजीवाद र वैदेशिक प्रतिक्रियावादका अगाडि आत्मसमर्पण गर्ने चरित्रका कारण पार्टीभित्र चरम गुटबन्दी र अस्वस्थ अन्तरसंघर्षको विकास भयो,’ दस्ताबेजमा उल्लेख छ, ‘ओली गुटले संविधान नै खारेज गर्ने नियतका साथ प्रतिनिधिसभा विघटन गर्न पुग्यो तब त्यो अस्वस्थ अन्तरसंघर्ष शत्रुतापूर्ण अन्तरसंघर्षमा बदलियो ।’

    माओवादीले ओली प्रवृद्धिविरुद्ध संघर्ष गर्दै कम्युनिस्ट एकताको पहल गर्ने दस्ताबेजमै लेखेको छ । ‘निर्वाचन आयोग र संसद् सचिवालयले जानीबुझी गरेको ऐन र नजिरविपरीतको क्रियाकलाप र अन्त्यमा अदालतको अस्वाभाविक राजनीतिक फैसलाका कारण पार्टी एकता असफल तुल्यायो,’ माओवादी महाधिवेशनबाट पारित दस्ताबेजमा छ, ‘तर हाम्रो पार्टी अहिले पनि एकताको पक्षमा छ र रहिरहनेछ ।’
    नेपाली कांग्रेसको केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक बुधबारदेखि सुरू हुने भएको छ। केन्द्रीय कार्यालय सानेपामा बुधबार दिउँसो १ बजे बैठक बस्ने भएको हो। बैठकका एजेन्डा कांग्रेसले तय गरिसकेको छ। सभापति र महामन्त्रीहरू बसेर बैठकका एजेन्डा तय गरिन्छ। तर सोमबार बेलुकी सभापति शेरबहादुर देउवा निवास धुम्बाराहीमा केन्द्रीय समितिका एजेन्डाबारे छलफल गर्न पदाधिकारी बैठक नै बसेको थियो। उक्त बैठकले केन्द्रीय समितिमा छलफल गरिने मोटामोटी एजेन्डा तय गरेको एक पदाधिकारीले सेतोपाटीलाई बताए। यसबीचमा कार्यसम्पादन समितिले गरेका निर्णय अनुमोदनका लागि पेश गर्ने तयारी छ। केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक बस्न नसक्दा कार्यसम्पादन समितिले निर्णय गर्न सक्ने विधानको व्यवस्था छ। कांग्रेसले गत वर्ष असार २७ गतेदेखि साउन २ गतेसम्म केन्द्रीय समिति बैठक गरेको थियो। त्यसपछि केन्द्रीय समिति बैठक हुन सकेको थिएन। यसबीचमा कार्यसम्पादन समितिले गरेका निर्णय केन्द्रीय समितिबाट अनुमोदन गर्न लागिएको हो। नीति अधिवेशनको मिति र स्थान तय गर्ने एजेन्डामाथि पनि केन्द्रीय समितिमा छलफल हुनेछ। कांग्रेसले दसैंअघि नीति अधिवेशन गर्ने तयारी गरेको छ। २०७८ मंसिरमा भएको १४ औं महाधिवेशनले नेतृत्व मात्रै चयन गरेको थियो। ६ महिनाभित्र नीति अधिवेशन गर्ने भने पनि डेढ वर्षसम्म मिति तय हुन सकेको छैन। संगठनको कार्ययोजना, कार्यतालिका र समसामयिक राजनीतिक घटनाक्रमबारे पनि केन्द्रीय समितिमा छलफल हुनेछ। साथै राष्ट्रव्यापी अभियानबारे पनि छलफल गर्ने कांग्रेसको तयारी छ। संगठन सुदृढीकरणका लागि देशैभर अभियान सञ्चालन गर्ने तयारीमा कांग्रेस छ। चुनावी समीक्षा, प्रदेश र केन्द्र सरकारका कामकारबाहीलगायत विभिन्न विषयमा पनि छलफल हुने गरी केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक गर्न लागिएको हो। सरकार र पार्टीबीच समन्वय नहुँदा समस्या भइरहेको केही दिनअघि जिल्ला सभापतिहरूले बैठकमा गुनासा गरेका थिए। प्रदेश र केन्द्रका सांसदहरूले पनि बजेट बिनियोजनमा गुनासो गर्दै आएका छन्। कांग्रेसका प्रवक्ता प्रकाशशरण महत केन्द्र सरकारमा अर्थमन्त्री छन्। अर्थमन्त्री महतले सबै जिल्लामा बजेट समान तवरले नपठाएको सांसदहरूको गुनासो छ। कांग्रेसमा १६८ सदस्यीय केन्द्रीय समिति रहने व्यवस्था भए पनि सभापति देउवाले केही संख्यामा केन्द्रीय सदस्य मनोनीत गर्न बाँकी छ। देउवाले कोषाध्यक्षसमेत मनोनीत गरेका छैनन्। यी काम महाधिवेशनबाट सभापति भएको ६ महिनाभित्रै गरिसक्नुपर्ने थियो। २८ विभागमध्ये प्रचार विभाग मात्रै गठन भएको छ। अन्य विभाग गठन र नेविसंघलगायत भ्रातृ संस्थाका तदर्थ समिति गठन हुन सकेको छैन। नेत्रविक्रम चन्दलाई समाजवादी मोर्चामा ल्याएपछि दाहालले पूर्वमाओवादीबीच एकताको गृहकार्य थालेका छन् । यसका लागि उनले उपाध्यक्ष कृष्णबहादुर महरालाई खटाएका छन् । ‘पूर्वमाओवादीहरू पनि छलफलमा छौं, एकताको आधार निर्माण हुँदै छ, पार्टी एकताका लागि ठोस पहल अगाडि बढाउँछौं,’ दाहालले शनिबार पोखरामा भने, ‘हामी विशेष महाधिवेशन गर्नेमा पनि छौं, एकता प्रयासलाई सँगसँगै लैजानुपर्छ ।’ माओवादी उपाध्यक्ष अग्निप्रसाद सापकोटाले नेकपा विभाजनको गम्भीर समीक्षा गरेर विचारमा एकरूपता भएपछि मात्र पुनःएकता सम्भव हुने बताए । ‘एकताका लागि विचार, कार्यदिशा र रणनीतिमा स्पष्ट हुनुपर्छ,’ उनले भने, ‘विभाजनबाट सबैको चेत खुल्नुपर्छ ।’ राजनीतिक परिस्थितिका कारण कम्युनिस्टहरू एकताबद्ध हुने अवस्था आउने उनले बताए । ‘मलाई नेकपा पुनःएकता सम्भव छ भन्ने आत्मविश्वास बढ्दै गएको छ,’ उनले भने । वाम राजनीतिक विश्लेषक एवं माओवादी सचिव राम कार्कीले सत्ता स्वार्थका लागि पार्टी मिल्नु र स्वार्थकै कारण विभाजन हुनुले वामपन्थी आन्दोलन अघि नबढ्ने बताए । ‘नेकपा एकता र विभाजनलाई यहीसँग जोडेर हेर्नुपर्छ ।’ एमाले अध्यक्ष ओलीले पनि नेकपा विभाजनको कारण खोज्नुपर्ने बताउन थालेका छन् । उनले विभाजनको मुख्य पात्र दाहाल र माधव नेपाल भएको आरोप लगाउँदै आएका छन् । असार १० मा एमाले नेता केशव बडालको किताबबारे बोल्दै ओलीले नेकपा विभाजनको कारण खोज्नुपर्ने बताएका हुन् । ‘अढाई वर्षअघि हाम्रो पार्टी विभाजन भयो, त्यसका पछाडिका कारणहरू के थिए ? उद्देश्यहरू के थिए ? किन विभाजन भयो ? किन गरियो ? कस्तो पृष्ठभूमिबाट त्यो विभाजनसम्म पुग्यो ? यी कुराहरू अलिकति आउनुपर्छ,’ उनले भने, ‘केका लागि विभाजन भयो ? के उद्देश्य थियो ? त्यसमा आन्तरिक कारण कति थियो ? बाह्य कारण कति थियो ? रिमोट कन्ट्रोल कति थियो ? यो सबै कुराको यथार्थ विश्लेषण हामीले आन्दोलनको हितका लागि गर्‍यौं भने भविष्यलाई राम्रो हुन्छ ।’ एमाले र माओवादीले पारित गरेका छन् एकता प्रस्ताव एमालेको विधान महाधिवेशन (२०७८ असोज) र माओवादी महाधिवेशन (२०७८ पुस) ले नेकपा विभाजनको दोष एकअर्कालाई लगाएका छन् । योसँगै दुवै पार्टीले कम्युनिस्ट पार्टीबीच एकता प्रयास जारी राख्नेसमेत उल्लेख गरेका छन् । सर्वोच्च अदालतले नेकपा एकीकरण भंग गरे पनि पुनः एकताबद्ध गर्ने सम्भावना रहेको एमाले दस्ताबेजमा उल्लेख छ । ‘कानुनी र राजनीतिक दृष्टिले नेकपाको एकीकरणको प्रक्रिया भंग भए पनि नेपाली कम्युनिस्ट आन्दोलनलाई एकताबद्ध गर्ने हाम्रो प्रयास इमानदार र निष्ठापूर्ण थियो,’ एमाले दस्ताबेजमा छ, ‘माओवादीको मूल नेतृत्व वैचारिक विचलन, संगठनात्मक अस्तव्यस्तता, अवसरवाद र अस्थिरताबाट गुज्रिरहेको तथ्य लुकेको थिएन । मूलतः सके पार्टी कब्जा गर्ने, नसके विभाजन गर्ने प्रचण्डका सोच र व्यवहारका कारण एकीकरण प्रक्रिया निष्कर्षमा नपुगी टुंगिएको छ ।’ एमालेले कम्युनिस्टबीच एकता गर्ने पहल जारी रहने दस्ताबेजमा उल्लेख गरेको छ । ‘एमाले आज नयाँ स्वरूपमा पुनःस्थापित हुँदै अगाडि बढेको छ,’ दस्ताबेजमा उल्लेख छ, ‘कम्युनिस्ट आन्दोलनलाई एकताबद्ध बनाउने प्रयास भोलि पनि जारी रहनेछ ।’ माओवादीको २०७८ पुसमा पारित राजनीतिक दस्ताबेजमा एमाले अध्यक्ष ओलीको निरंकुश चरित्रका कारण पार्टी विभाजन भएको आरोप लगाइएको छ । ‘केपी ओलीको चरम व्यक्तिवादी अहंकार, सहमतिविपरीत निरंकुश ढंगले पार्टी र सरकार चलाउने धृष्टता एवं उनमा रहेको मार्क्सवादविरोधी सामन्ती, दलाल, पुँजीवाद र वैदेशिक प्रतिक्रियावादका अगाडि आत्मसमर्पण गर्ने चरित्रका कारण पार्टीभित्र चरम गुटबन्दी र अस्वस्थ अन्तरसंघर्षको विकास भयो,’ दस्ताबेजमा उल्लेख छ, ‘ओली गुटले संविधान नै खारेज गर्ने नियतका साथ प्रतिनिधिसभा विघटन गर्न पुग्यो तब त्यो अस्वस्थ अन्तरसंघर्ष शत्रुतापूर्ण अन्तरसंघर्षमा बदलियो ।’ माओवादीले ओली प्रवृद्धिविरुद्ध संघर्ष गर्दै कम्युनिस्ट एकताको पहल गर्ने दस्ताबेजमै लेखेको छ । ‘निर्वाचन आयोग र संसद् सचिवालयले जानीबुझी गरेको ऐन र नजिरविपरीतको क्रियाकलाप र अन्त्यमा अदालतको अस्वाभाविक राजनीतिक फैसलाका कारण पार्टी एकता असफल तुल्यायो,’ माओवादी महाधिवेशनबाट पारित दस्ताबेजमा छ, ‘तर हाम्रो पार्टी अहिले पनि एकताको पक्षमा छ र रहिरहनेछ ।’
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    कांग्रेसले तय गर्‍यो एक वर्षपछि बस्न लागेको केन्द्रीय समितिका लागि एजेन्डा
    नेपाली कांग्रेसको केन्द्रीय कार्यसमिति बैठक बुधबारदेखि सुरू हुने भएको छ।
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  • गौहाटी उच्च न्यायालय ने 'गुप्त हत्याओं' मामले पर 2018 के फैसले को बरकरार रखा और असम के पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के उद्देश्य से एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा थे। महंत ने आभार व्यक्त किया और अदालत के फैसले का स्वागत किया।

    संबंधित विकास में, गौहाटी उच्च न्यायालय ने असम के दोनों राज्यसभा सांसदों अजीत भुइयां और अनंत कलिता से उनके आरोपों के समर्थन में पर्याप्त सबूतों की कमी पर भी सवाल उठाया। 3 सितंबर, 2018 को दोनों ने इस मामले पर अदालत के पिछले फैसले को चुनौती देते हुए एक अर्जी दाखिल की थी। कथित तौर पर असम में 1998 और 2001 के बीच 'गुप्त हत्याएं' हुईं, जिसके दौरान अज्ञात हमलावरों ने उल्फा सदस्यों के रिश्तेदारों, परिचितों और हमदर्दों को निशाना बनाया और उनकी हत्या कर दी। उस समय प्रफुल्ल कुमार महंत मुख्यमंत्री के पद पर थे। तरुण गोगोई सरकार के सत्ता में आने के बाद स्थापित सैकिया आयोग ने शुरू में हत्याओं की जांच की थी, लेकिन बाद में 2018 में गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा इसके निष्कर्षों को खारिज कर दिया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि आत्मसमर्पण करने वाले उल्फा सदस्य अपराधों में शामिल थे।
    Source: AssamTribune
    गौहाटी उच्च न्यायालय ने 'गुप्त हत्याओं' मामले पर 2018 के फैसले को बरकरार रखा और असम के पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के उद्देश्य से एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा थे। महंत ने आभार व्यक्त किया और अदालत के फैसले का स्वागत किया। संबंधित विकास में, गौहाटी उच्च न्यायालय ने असम के दोनों राज्यसभा सांसदों अजीत भुइयां और अनंत कलिता से उनके आरोपों के समर्थन में पर्याप्त सबूतों की कमी पर भी सवाल उठाया। 3 सितंबर, 2018 को दोनों ने इस मामले पर अदालत के पिछले फैसले को चुनौती देते हुए एक अर्जी दाखिल की थी। कथित तौर पर असम में 1998 और 2001 के बीच 'गुप्त हत्याएं' हुईं, जिसके दौरान अज्ञात हमलावरों ने उल्फा सदस्यों के रिश्तेदारों, परिचितों और हमदर्दों को निशाना बनाया और उनकी हत्या कर दी। उस समय प्रफुल्ल कुमार महंत मुख्यमंत्री के पद पर थे। तरुण गोगोई सरकार के सत्ता में आने के बाद स्थापित सैकिया आयोग ने शुरू में हत्याओं की जांच की थी, लेकिन बाद में 2018 में गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा इसके निष्कर्षों को खारिज कर दिया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि आत्मसमर्पण करने वाले उल्फा सदस्य अपराधों में शामिल थे। Source: AssamTribune
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  • असम के बिश्वनाथ चाराली में एक युवक की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई। कदमनी गांव के पीड़ित महेश घटोवार पर उसके चाचा मोंटू घाटोवर ने सोते समय हमला किया था। घटना के बाद, मोंटू ने खून से लथपथ हत्या के हथियार को पेश करते हुए खुद को अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। बिश्वनाथ पुलिस मौके पर पहुंच गई है और फिलहाल मामले की जांच कर रही है।

    महेश, जो एक मजदूर के रूप में काम करता था और बिश्वनाथ कॉमर्स कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष का छात्र था, को चोटों के कारण जीएमसीएच में भर्ती कराया गया है। गौरतलब है कि महेश के पिता का दो महीने पहले ही निधन हो गया था। घटना से इलाके में तनाव फैल गया है, स्थानीय लोगों को संदेह है कि हत्या के पीछे का मकसद संपत्ति से जुड़ा हो सकता है। मोंटू के भाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मोंटू को मानसिक स्वास्थ्य की समस्या है और वह दवा ले रहा था।
    Pic: Assam Tribune
    असम के बिश्वनाथ चाराली में एक युवक की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी गई। कदमनी गांव के पीड़ित महेश घटोवार पर उसके चाचा मोंटू घाटोवर ने सोते समय हमला किया था। घटना के बाद, मोंटू ने खून से लथपथ हत्या के हथियार को पेश करते हुए खुद को अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। बिश्वनाथ पुलिस मौके पर पहुंच गई है और फिलहाल मामले की जांच कर रही है। महेश, जो एक मजदूर के रूप में काम करता था और बिश्वनाथ कॉमर्स कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष का छात्र था, को चोटों के कारण जीएमसीएच में भर्ती कराया गया है। गौरतलब है कि महेश के पिता का दो महीने पहले ही निधन हो गया था। घटना से इलाके में तनाव फैल गया है, स्थानीय लोगों को संदेह है कि हत्या के पीछे का मकसद संपत्ति से जुड़ा हो सकता है। मोंटू के भाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मोंटू को मानसिक स्वास्थ्य की समस्या है और वह दवा ले रहा था। Pic: Assam Tribune
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  • मोक्षको अवधारणा हिन्दू धर्ममा आफ्नो कर्तव्य वा धर्म पूरा गर्ने विचारसँग नजिकबाट जोडिएको छ। इमानदारी, समर्पण र नि:स्वार्थताका साथ कर्तव्यहरू पूरा गर्नु आध्यात्मिक विकासको आधारभूत पक्ष मानिन्छ र मोक्षतर्फ लैजान्छ। यद्यपि, आधुनिक समाजमा व्यक्तिवाद र व्यक्तिगत लाभको जोडले ठूलो समुदायबाट अलग्गिएको छ।
    मोक्षको अवधारणा हिन्दू धर्ममा आफ्नो कर्तव्य वा धर्म पूरा गर्ने विचारसँग नजिकबाट जोडिएको छ। इमानदारी, समर्पण र नि:स्वार्थताका साथ कर्तव्यहरू पूरा गर्नु आध्यात्मिक विकासको आधारभूत पक्ष मानिन्छ र मोक्षतर्फ लैजान्छ। यद्यपि, आधुनिक समाजमा व्यक्तिवाद र व्यक्तिगत लाभको जोडले ठूलो समुदायबाट अलग्गिएको छ।
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    संयुक्त परिवार संरचनाको क्षय र बालबालिकामा कर्तव्य र जिम्मेवारीको...
    पश्चिमी संसारमा संयुक्त परिवारबाट एकल-अभिभावक परिवारमा परिवर्तन हाम्रो शिक्षा प्रणालीमा परिवर्तनशील मूल्य र प्राथमिकताहरूको प्रतिबिम्ब हो। विगतमा, संयुक्त परिवार संरचनाहरूले सबै सदस्यहरू, विशेष गरी वृद्ध र युवाहरूका लागि सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता र भावनात्मक समर्थनको भावना प्रदान गर्थे। यो एक...
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  • पक्राउ पुर्जी जारी भएपछि फरार रहेका रायमाझीलाई बचाउने सम्भावना नभएपछि एमालेले प्रहरीसमक्ष आत्मसमर्पण गराउने योजना बनाएको थियो। #NepalNews
    पक्राउ पुर्जी जारी भएपछि फरार रहेका रायमाझीलाई बचाउने सम्भावना नभएपछि एमालेले प्रहरीसमक्ष आत्मसमर्पण गराउने योजना बनाएको थियो। #NepalNews
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    आत्मसमर्पण प्रयास असफल भएपछि एमालेले गर्‍यो टोपबहादुरलाई कारबाही
    नक्कली भुटानी शरणार्थी प्रकरणमा मुछिएपछि नेकपा एमालेले पार्टी सचिव टोपबहादुर रायमाझीलाई प्रहरीसमक्ष आत्मसमर्पण गराउने प्रयास गरेको थियो।पक्राउ पुर्जी जारी भएपछि फरार रहेका रायमाझीलाई बचाउने सम्भावना नभएपछि एमालेले प्रहरीसमक्ष आत्मसमर्पण गराउने योजना बनाएको थियो।तर, उनी पार्टी सम्पर्कमै नभएपछि एमाले अप्ठेरोमा पर्‍यो।संसद् सच...
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